नई दिल्ली: देश के प्रथम पीएम जवाहर लाल नेहरू पर अक्सर कश्मीर समस्या को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगता रहता है। कहा जाता है कि, यदि नेहरू 370 लगाकर कश्मीर को अलग झंडा, अलग संविधान, अलग प्रधानमंत्री की मंजूरी नहीं देते, तो आज कश्मीर में आतंकवाद की आग में नहीं जल रहा होता। अब खालिस्तान विवाद को लेकर भी ऐसा ही एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। ऑपरेशन ब्लू स्टार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इंडियन आर्मी के लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) कुलदीप सिंह बराड़ ने इस मामले में कई अहम राज खोले हैं। जलता रहा पंजाब, राजनीति करते रहे कांग्रेस-अकाली दल :- उन्होंने कहा है कि पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन फिर से सिर उठा रहा है और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान इसे मदद दे रहा है। बता दें कि, लेफ्टिनेंट जनरल बराड़ साल 1971 के भारत-पाक युद्ध व बांग्लादेश को मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। वह ऑपरेशन ब्लू स्टार के कमांडिंग ऑफिसर भी थे, जिसके कारण वे खालिस्तानी आतंकियों की हिटलिस्ट में भी रहे। इसी वजह से उन पर 10 वर्ष पूर्व लंदन में जानलेवा हमला भी हुआ, जिसमें वे बाल-बाल बच गए। जनरल कुलदीप बराड़ ने बताया है कि इंदिरा गांधी की शह पर ही जरनैल सिंह भिंडरावाले बहुत मजबूत हो गया था। उसके बाद जब वह बेलगाम होता चला गया, तो ऑपरेशन ब्लू स्टार का आदेश दिया गया। हालांकि, तब तक काफी देर हो चुकी थी और भिंडरावाले एक कल्ट बन चुका था। जनरल बराड़ ने कहा कि 'उस संकट के समय में कांग्रेस, अकाली जैसी पार्टियां राजनीति करने में लगी हुई थीं। यह सही बात है कि सियासी दलों ने ही भिंडरावाले का कल्ट बनने दिया।' DIG की हत्या कर स्वर्ण मंदिर के सामने फेंका:- उन्होंने आगे कहा कि, '1980 के दशक में पंजाब में हालात बेहद खराब हो चले थे। कानून और व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी थी। पुलिस एक निष्क्रिय शक्ति बन गई थी। जरनैल सिंह भिंडरावाले को काफी सारे लोग स्वीकार करते थे। वह रोडे नामक गांव में रहता और लोगों को उपदेश देता। इसके बाद पंजाब का पतन होने लगा और भिंडरावाले एक ताकतवर व्यक्ति बन गया। पंजाब में निर्दोष लोगों की हत्याएं की जा रही थीं, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी हो रही थी और बैंकों को लूटा जा रहा था।' जनरल बराड़ ने कहा कि उस वक़्त कानून और व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी और भिंडरावाले बहुत ताकतवर बन गया। जनरल बराड़ ने कहा कि, 'एक DIG की हत्या कर दी गई और स्वर्ण मंदिर से बाहर फेंक दिया गया। पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से भी डर रही थी।' इंदिरा गांधी ने ही दिया था भिंडरावाले को बढ़ावा:- उन्होंने दावा करते हुए कहा कि, भिंडरावाले को केंद्र की कांग्रेस सरकार की पूरी शह मिल रही थी। साल दर साल भिंडरावाले फर्श से अर्श तक पहुंच चुका था और यह सब इंदिरा गांधी की आँखों के सामने ही हो रहा था। 1980 तक सब कुछ सही चला। लेकिन, 1981 से 84 तक पंजाब में कानून व्यवस्था की स्थिति काफी अधिक बिगड़ रही थी। हर जगह लूट मार, डकैतियां और हत्याएं हो रहीं थी। जब भिंडरावाले ऊंचाइयों तक पहुंचा, तभी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उस पर हमला करने का आदेश दिया था। यही नहीं, ब्लू स्टार ऑपरेशन के वक़्त उन्हें (जनरल बराड़) चुना गया था। उन्होंने बताया कि 1984 की शुरुआत में पंजाब में भावनाएं इतनी प्रबल थीं कि भिंडरावाले, खालिस्तान को एक अलग देश घोषित करने जा रहा था। जनरल बराड़ ने आंदोलन के पीछे युवाओं में बेरोजगारी को भी एक प्रमुख वजह बताया। उन्होंने कहा कि, 'फिर खालिस्तान को लेकर आंदोलन शुरू हुआ। उस वक़्त पंजाब में बेरोजगारी काफी ज्यादा थी। युवाओं के पास नौकरियां नहीं थीं। युवा अपनी बाइक पर पिस्तौल लेकर घूमते थे। मिनी गैंगस्टर भी थे। भिंडरावाले का राज्य पर पूरा नियंत्रण था।' पंजाब में फिर सिर उठने लगा खालिस्तानी आंदोलन:- खालिस्तानी आंदोलन के फिर से उठने की कोशिशों के बारे में सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि, 'यह भयानक है। मैं ब्रिटेन जाता हूं, मैं साउथहॉल जाता हूं, मुझे हर जगह भिंडरावाले की तस्वीर नज़र आती है। हमारे प्रवासी भारतीयों को क्या हुआ, जो विदेश चले गए हैं?' पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन के मौजूदा परिदृश्य पर उन्होंने कहा कि, 'हां, पंजाब में खालिस्तान आंदोलन का पुनरुत्थान हो रहा है। पाकिस्तान भी उनकी सहायता कर रहा है। लंदन, कनाडा, अमेरिका और पाकिस्तान सभी मिलकर यहां खालिस्तान आंदोलन का पुनरुत्थान करना चाहते हैं।' ऑपरेशन ब्लू स्टार और भिंडरावाले की मौत:- बता दें कि, भिंडरावाले सिख धार्मिक संप्रदाय दमदमी टकसाल का प्रमुख था। जहाँ एक वर्ग भिंडरावाले को संत मानता है, वहीं दूसरा तबका उसे एक कट्टरपंथी और सैकड़ों लोगों का हत्यारा बताता है। स्वर्ण मंदिर परिसर में इंडियन आर्मी द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान वह अपने अन्य अनुयायियों के साथ मारा गया था। बता दें कि इंडियन आर्मी ने 1 जून से 8 जून के बीच 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था। भारत की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने जरनैल सिंह भिंडरावाले समेत सिख आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए सैन्य अभियान का आदेश दिया था, जो स्वर्ण मंदिर परिसर के भीतर हथियार के साथ मौजूद थे। आज भी गांधी परिवार के प्रति पंजाब में आक्रोश:- बता दें कि, स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार को हुए भले 39 वर्ष हो चुके हैं, मगर जनरल बराड़ के इस बयान के बाद पंजाब की राजनीति में हलचल बढ़ने की संभावना जताई जा रही हैं। ऑपरेशन ब्लू स्टार के इतने सालों के बाद भी सिख समुदाय में उस अभियान को लेकर आक्रोश है। आज भी गांधी परिवार को स्वर्ण मंदिर में VIP ट्रीटमेंट नहीं मिलता। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को आज भी सिरोपा नहीं दिया जाता। गोरखपुर मंदिर पर हमला करने वाले आतंकी मुर्तज़ा को होगी फांसी, NIA कोर्ट का फैसला राजस्थान: कार का टायर बदल रहे युवक को बस ने कुचला लव जिहाद कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, 3 फरवरी को होगी अगली सुनवाई