मध्य प्रदेश में कोरोना का सबसे ज्यादा असर इंदौर में देखने को मिला है. वहीं, शहर में कोरोना की 1200 सैंपल से ज्यादा की जांच करने की क्षमता का दावा किया जा रहा है, लेकिन एक पखवाड़े के आंकड़े बताते हैं कि पुडुचेरी, अहमदाबाद और इंदौर की लैब मिलकर भी 300 से ज्यादा जांच रोजाना नहीं कर पा रही हैं. वे दावे के विपरीत एक-चौथाई जांच ही कर पा रही हैं क्योंकि इनके पास सैंपल ही नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में ये सवाल है कि जब जांच की क्षमता बढ़ा ली गई है तो फिर सैंपलिंग क्यों नहीं बढ़ाई जा रही. दरअसल पुडुचेरी, अहमदाबाद सहित इंदौर की आठ लैबों को शासन ने कोविड-19 वायरस की जांच की अनुमति दे दी है. प्रशासन का दावा है कि अब इंदौर में 1200 से ज्यादा जांच रोजाना करने की क्षमता है. इसका फायदा उठाते हुए सैंपलिंग बढ़ाई भी जाएगी जिससे कोरोना के एक-एक मरीज तक पहुंचा जा सके, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है. पिछले एक पखवाड़े के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि जांच की क्षमता भले ही बढ़ा ली हो, लेकिन सैंपलिंग बढ़ाने की तरफ ध्यान नहीं दिया गया. 17 अप्रैल से अब तक सिर्फ 4667 सैंपल जांच के लिए भेजे गए. इसमें भी करीब 1500 सैंपल तो सिर्फ पुडुचेरी और अहमदाबाद ही भेजे गए. क्षमता का पूरा उपयोग किया जाता तो एक पखवाड़े में 18 हजार से ज्यादा सैंपल जांचे जा सकते थे. बता दें की 17 अप्रैल से अब तक जांचे गए 4667 सैंपलों में से 686 सैंपल पॉजिटिव मिले हैं. यानी करीब 15 प्रतिशत. पूरी क्षमता से सैंपल जांचे जाते तो पॉजिटिव मरीजों की संख्या भले ही ज्यादा आती लेकिन इससे संक्रमण का खतरा कम तो हो सकता था. सवाल यह भी उठ रहा है कि जब सैंपलिंग बढ़ाना ही नहीं थी तो फिर लैबों को अनुमति देकर क्षमता क्यों बढ़ाई गई . अनोखी शादी, दूल्हा-दुल्हन ने लकड़ी की मदद से डाली वरमाला, देखें Video शराब पीने वालों के लिए बुरी खबर, सिनेमाघरों के लिए जारी हुए ये आदेश भोपाल में बढ़ रहा कोरोना का संक्रमण, 529 पहुंची मरीजों की संख्या