इंदौरः मध्य प्रदेश की राजनीति को हिलाकर रख देने वाले हनीट्रैप कांड में हाईकोर्ट ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए अहम सवाल पूछा है। उच्च न्यायलय ने सरकार से पूछा है कि ऐसी क्या मजबूरी है कि हनीट्रैप मामले में गठित एसआईटी के प्रमुख को बार- बार बदला जा रहा है। अदालत ने कहाकि सरकार मामले में चलाई गई तमाम नोटशीट और दस्तावेज के साथ 21 अक्टूबर को स्टेट्स रिपोर्ट पेश करे। अदालत ने यह भी तय किया कि भविष्य में इस मामले में दायर सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ होगी। उच्च न्यायलय ने यह प्रश्न नीट्रैप मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पूछा। याचिका दिग्विजयसिंह भंडारी ने वरिष्ठ वकील डॉ. मनोहरलाल दलाल और वकील लोकेंद्र जोशी के माध्यम से दायर की है। याचिका में कहा है कि हनीट्रैप मामला जनहित से जुड़ा है। सरकार इसकी जांच में लापरवाही बरत रही है। एसआईटी का गठन तो कर दिया, लेकिन इसके प्रमुख को बार--बार बदला जा रहा है। अब तक तीन बार बदलाव हो चुका है। ऐसी स्थिति में आशंका है कि इसकी जांच रिपोर्ट को प्रभावित करने का प्रयास हो रहा है। इस पर जस्टिस एससी शर्मा और शैलेंद्र शुक्ला ने शासन को नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह बताए कि किस आधार पर और किन कारणों से एसआईटी प्रमुख को बदला जा रहा है। बता दें कि इस मामले में सत्ता और विपक्ष दोनों पक्षों के नेताओं का नाम सामने आ रहा है। इसको लेकर राज्य में सियासत भी गर्म है। आज पीएम मोदी से मुलाकात करेंगी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, होगी द्विपक्षीय वार्ता हिमाचल प्रदेश में जबरदस्त बर्फ़बारी, सफ़ेद चादर से ढकीं भरमौर और पांगी की चोटियां यूपीः पू्र्व सांसद भालचंद का निधन, आज होगा अंतिम संस्कार