बहुत घातक है Influenza सीजनल फ्लू, दिखे ये लक्षण तो तुरंत जाए डॉक्टर के पास

सर्दी का मौसम आ चुका है और इस मौसम के आते ही अधिकांश लोग इंफ्लूएंजा या फ्लू या कॉमन कोल्ड एंड कफ के शिकार हो जाते हैं। आपको बता दें कि इंफ्लूएंजा या सीजनल फ्लू वायरस के कारण होता है इसलिए इसे वायरल भी कहते हैं। आपको बता दें कि इंफ्लूएंजा वायरस चार तरह के होते हैं और इनमें एच1एन1 और इंफ्लूएंजा बी वायरस के कारण आसपास में महामारी का रूप भी ले सकती है। वैसे कई लोग यह समझते हैं कि मौसम बदलने के साथ सीजनल फ्लू या इंफ्लूएंजा साधारण सी परेशानी है लेकिन कुछ लोगों के लिए यह घातक माना जा सकता है। वैसे तो आमतौर पर 4-5 दिनों से लेकर दो सप्ताह के अंदर इंफ्लूएंजा ठीक हो जाता है लेकिन इसी दौरान अगर जटिलताएं बढ़ जाए तो यह निमोनिया हो सकता है और इससे मल्टी ऑर्गेन फेल्योर भी हो सकता है। ऐसे में मरीज की मौत तक हो सकती है। जी हाँ और बच्चों और बुजुर्गों को इसका सबसे अधिक खतरा रहता है। इस वजह से सीजनल फ्लू या इंफ्लूएंजा को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। अगर परेशानी ज्यादा है तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

किस तरह है लाइफ थ्रेटनिंग- अधिकांश लोग कुछ दिनों से लेकर दो सप्ताह के अंदर फ्लू से ठीक हो जाते हैं, हालाँकि कुछ लोगों में इससे निमोनिया हो जाता है। जब इसका थोड़ा असर होता है तो इससे साइनस और कान में इंफेक्शन हो जाता है। जी हाँ और निमोनिया का प्रभाव बढ़ने पर वायरस के साथ-साथ बैक्टीरिया का हमला भी बढ़ जाता है। जब फ्लू के बाद निमोनिया गंभीर हो जाता है तो हार्ट, ब्रेन और मसल्स में सूजन होने लगती है जिसे हार्ट में मायोकार्डाइटिस (myocarditis), ब्रेन में एनसिफलाइटिस (Encephalitis) और मसल्स में मायोसाइटिस (myositis) हो जाता है। अंत में इन सबका परिणाम यह होता है किडनी, रिस्पाइरेटरी सहित मल्टी ऑर्गेन फेल्योर हो जाता है और अंततः मरीज की मौत हो जाती है।

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किन लोगों का ज्यादा खतरा- यह खतरा किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन कुछ लोगों को इसका खतरा ज्यादा रहता है। 65 साल से ऊपर के बुजुर्ग, अस्थमा, डायबिटीज, हार्ट डिजीज, प्रेग्नेंट महिलाएं और 5 साल से कम उम्र के बच्चों का फ्लू लगने के बाद निमोनिया का खतरा ज्यादा होता है। इंफ्लूएंजा में अचानक वायरस का हमला होता है और वह अपना प्रभाव दिखाने लगता है। 3-4 दिनों तक बुखार रहता है। इसके अलावा बदन में कभी-कभी तेज दर्द होता है और कभी-कभी खांसी भी होती है। छाती में कंजेशन हो जाता है और नाक से पानी निकलने लगता है। कभी-कभी गला में खराश रहता है और सिर दर्द भी रहता है। उल्टी और डायरिया भी हो सकती है।

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