झारखंड सिविल कोर्ट में एक बच्ची का मामला सामने आया, जहां उसे नौकरी के नाम पर कुछ लोग दिल्ली ले गए और वहाँ उसे अपनी हवस का शिकार बनाकर उसे एक अधेड़ आदमी के हाथों बेंच दिया. यह बच्ची इस मामले में खुशकिस्मत निकली कि वह एक संस्था की मदद से भाग निकली और वापस रांची पहुँचकर उसे बेंचने वाले मानव तस्करों के खिलाफ केस दर्ज कराया. झारखंड की ऐसी ही ना जाने कितनी बच्चियाँ मानव तस्करों के हाथों बेंच दी जाती हैं. इस समस्या से निपटने को लेकर एक ओर जहां सरकार एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग युनिट का गठन कर तस्करी की शिकार बच्चियों को बचाने में लगी है, वहीं बचाई गई बच्चियों के पुनर्वास तथा उनकी पढ़ाई व रोज़गार के संबंध में पहल की जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार, केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अधीन डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी (डालसा) ने कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. डालसा के सचिव राजेश कुमार सिंह ने बताया कि इन कार्यक्रमों में बचाई गई बच्चियों को आर्थिक मदद उर उनकी शिक्षा की व्यवस्था करना शामिल है. वहीं युवतियों के लिए कौशल विकास की ट्रेनिंग देने की पहल हो रही है ताकि उन्हें रोजगार मिल सके. गौरतलब है कि झारखंड पुलिस ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग की शिकार बच्चियों की खोजबीन के लिए दो चरण में ऑपरेशन 'मुस्कान' चलाया है. इसके तहत अब तक ट्रैफिकिंग की शिकार 2675 बच्चियों को विभिन्न राज्यों से मुक्त कराया गया है. अब ‘मुस्कान’ के जरिये उनके जीवन में मुस्कान लौटाने की कवायद जारी है. राजस्थान उपचुनाव में नए प्रयोगों के साथ मतदान शुरू बजट सत्र के भाषण में राष्ट्रपति ने सरकार के कार्यो पर प्रकाश डाला शराब की लत पड़ी चोर को महंगी