साल 2016 के रियो ओलंपिक में सम्मिलित हो चुके युवा धावक ललित माथुर छह बार नेशनल चैंपियन रह चुके हैं, तथा उनका स्वपन देश के लिए ओलंपिक में मैडल हासिल करना है. कैंसर से पीड़ित मां, किसान पिता तथा दो बहनों की परवरिश की जिम्मेदारी के मध्य वह स्वयं भी गंभीर चोट से पीड़ित हैं, किन्तु न तो उस स्वपन को मरने दिया है, जो भारत के लिए देखा है, तथा न उस जज्बे को कम होने दिया है, जिसकी हिम्मत पर सपने को हकीकत में परिवर्तित किया जा सके. साथ ही सभी विकत परिस्थितियों के मध्य हर दिन स्वयं को दौड़ने के लिए तैयार करते हुए, ललित अपने भीतर के योद्धा को निरंतर निखार रहे हैं. वही वर्ष 2017 में ललित को दिल्ली रेलवे स्टेशन की स्वच्छता अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था. ललित कहते हैं कि उनके समीप स्पो‌र्ट्स कोटे से मिली रेलवे की जॉब तो है, किन्तु जॉब से उनके घर का खर्च बेहद कठिन से चल पाता है. इसके भी ऊपर मां के गले के कैंसर के उपचार के खर्च ने उन्हें कर्ज लेने के लिए मजबूर कर दिया. नियमित चले उपचार के पश्चात् माँ की स्थिति स्थिर हुई, किन्तु अब भी दवाओं का खर्च उठाना कठिन हो रहा है. साथी ही वह कहते हैं कि दिल्ली सरकार से उन्होंने सहायता की गुहार लगाई थी, किन्तु वहां से कोई सहायता नहीं मिली. इसके अतिरिक्त रेलवे की ओर से भी कोई सहायता नहीं मिल सकी है. इसके अतिरिक्त हरियाणा सरकार से भी कोई मदद नहीं मिली. ललित बताते हैं कि उन्हें रेसिंग ट्रैक की व्यवस्था नहीं मिल रही. इसलिए पार्क में ही प्रैक्टिस करते हैं. फिटनेस के लिए घर में भी वर्कआउट करते हैं. इसी के साथ उनके जीवन में कई संघर्ष के पश्चा माँ का इलाज करना बेहद कठिन है. राजीव गांधी खेल रत्न के लिए रोहित शर्मा की नाम पर लगी मुहर कोरोना से ठीक होने के बाद हॉकी खिलाड़ी सुरेंदर कुमार फिर से अस्पताल में हुए भर्ती कोरोना का शिकार हुए बोरिस सिंह थांगजाम, बने पहले सक्रिय फुटबॉलर