रायपुर : छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में आदमखोर भालू को एके-47 और इंसास जैसे हथियारों से 100 राउंड गोलियां चलाकर मारे जाने की जांच शुरु हो गई है। छत्तीसगढ़ के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के सी बेर्बता ने बताया कि मुख्य वन संरक्षक मुरुगन के नेतृत्व में जांच दल का गठन किया गया है। जांच दल 10 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। बेबर्ता ने बताया कि भालू को मारने के लिए किसी ने परमिशन नहीं ली थी। वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत बिना अनुमति के वन्य जीवों को मारना अपराध है। वन्य प्राणियों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना की निंदा की थी। बिलासपुर जिले में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता मंसूर खान ने कहा है कि जब वन विभाग को जानकारी थी कि क्षेत्र में भालू हैं तब उन्हें भालू और मानव के मध्य द्वंद की घटना को रोकने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करना चाहिए था। लेकिन वन विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। वहीं भालू को गोली मारने से पहले उसे बचाने और जंगल में भगाने का कोई प्रबंध नहीं किया गया। पुलिस के 10 जवानों ने इस काम को किया। इससे संबंधित एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें ये जवान भालू पर गोलियां बरसा रहे है। कहा जा रहा है कि भालू करीब 100 मीटर की दूरी पर था, उसे 100 में से 16 गोलियां लगी है। शनिवार को नवागांव का रहने वाला शत्रुघ्न दीवान जब सुबह चार बजे महुआ बीनने जंगल की ओर गया था, तभी वहीं का रहने वाला धनसिंह दीवान भी सुबह 8 बजे लकड़ी बीनने निकला था। दोपहर तक दोनों के शव जंगल में दो-ढाई सौ फुट के फासले पर अलग-अलग पड़े मिले। चश्मदीदों का कहना है कि भालू ने घात लगाकर हमला किया और दोनों को मार डाला। घटना की सूचना के बाद फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और पुलिस का अमला भालू की खोज में जंगल की ओर रवाना हुआ। इसी दौरान भालू ने फिर हमला किया और वन विभाग के डिप्टी रेंजर केडी साहिल को भी मार डाला।