कोच्ची: शुक्रवार, (26 जुलाई 2024) को केरल के मुवत्तुपुझा में चर्च द्वारा संचालित निर्मला कॉलेज में छात्रों के एक समूह ने विरोध प्रदर्शन किया, जिन्होंने कहा कि उन्हें कॉलेज परिसर के अंदर जुम्मे की नमाज़ पढ़ने की अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद रविवार, 28 जुलाई को भाजपा द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को 'चरमपंथी तत्व' कहे जाने के बाद इस मांग को लेकर आक्रोश फैल गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कुछ महिला छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन से मांग करते हुए कहा था कि वे शुक्रवार को नमाज़ पढ़ने के लिए जगह उपलब्ध कराएँ। जब उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो उन्होंने 26 जुलाई को कॉलेज के प्रिंसिपल फादर कन्नडन फ्रांसिस के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया और यहाँ तक की फादर को भी कई घंटों तक बंधक बना लिया। इसमें पुरुष छात्र भी शामिल हो गए और परिसर के अंदर नमाज़ की इजाजत मांगने लगे। इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, फादर ने कि कॉलेज से सिर्फ़ 200 मीटर की दूरी पर मस्जिदें मौजूद हैं और शुक्रवार को वहां जाकर नमाज़ पढ़ने की पहले से अनुमति हैं। चर्च के सामाजिक कार्यों के लिए सहायक (CASA) के केविन पीटर ने मीडिया को बताया कि कॉलेज से सिर्फ़ 200 मीटर की दूरी पर तीन मस्जिदें हैं, जिनमें से एक में नमाज़ के लिए महिलाओं का भी स्वागत है, फिर कॉलेज में हंगामा क्यों ? रिपोर्ट के अनुसार, कॉलेज प्रशासन का मानना है कि परिसर में किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं है, क्योंकि यह एक 'धर्मनिरपेक्ष' संस्थान है। कॉलेज के दिशा-निर्देशों के अनुसार, जो छात्र लिखित अनुरोध प्रस्तुत करते हैं, उन्हें पास की मस्जिद में प्रार्थना में शामिल होने की अनुमति है और उन्हें उपस्थिति आवश्यकताओं से छूट दी गई है। यह घटना 26 जुलाई को सामने आई। प्रदर्शनकारियों के अनुसार, कुछ मुस्लिम स्टूडेंट्स ने कॉलेज में लड़कियों के वेटिंग रूम में नमाज अदा की। हालांकि, 26 जुलाई को कॉलेज के अधिकारियों ने इस मामले पर सवाल उठाया और नमाज का नेतृत्व करने वाले स्टूडेंट्स को प्रिंसिपल से मिलने का आदेश दिया। इससे विरोध भड़क गया। प्रोफेसरों ने इन लड़कियों को सुझाव भी दिया था कि छात्राएं नमाज पढ़ने के लिए पास के कॉलेज के छात्रावास में जा सकती हैं, लेकिन छात्राओं ने कॉलेज परिसर में ही नमाज़ की मांग की। कई लोगों का मानना है कि यह घटना राज्य में बढ़ते धार्मिक कट्टरवाद को दर्शाती है, जो संभावित रूप से युवा छात्रों को प्रभावित कर सकती है। प वहीं, मुस्लिम छात्र संघ (MSF) एर्नाकुलम जिला अध्यक्ष रमीज मुथिराकलायिल ने कहा कि, “तीन छात्राएं प्रतीक्षा कक्ष में नमाज अदा करती थीं और किसी ने इस पर आपत्ति नहीं जताई थी। गुरुवार को गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने छात्राओं से पूछताछ की और प्रिंसिपल को सूचित किया। शुक्रवार को प्रिंसिपल प्रतीक्षा कक्ष में गए और छात्राओं को नमाज अदा करने से रोक दिया। इसी वजह से विरोध प्रदर्शन हुआ।" हालांकि, राज्य की सत्तारूढ़ माकपा की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की छात्र शाखा मुस्लिम छात्र संघ (MSF) ने बयान जारी कर कहा है कि उनका इन मांगों से कोई लेना-देना नहीं है। SFI की राज्य अध्यक्ष के अनुश्री ने दावा किया कि संगठन 'धर्मनिरपेक्षता' का समर्थन करता है और किसी विशेष समुदाय की धार्मिक प्रथाओं की अनुमति देने से कॉलेज की 'धर्मनिरपेक्ष' प्रकृति प्रभावित होगी। उन्होंने कहा, "हम निर्मला कॉलेज में उठाई गई मांग से जुड़े नहीं हैं।" दूसरी ओर, भाजपा ने विरोध प्रदर्शन की निंदा की और कहा कि 'चरमपंथी तत्व' हिंदुओं और ईसाइयों द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों में समस्याएँ पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेन्द्रन ने कहा कि, "चरमपंथी तत्व इस मांग के पीछे हैं। वामपंथी और कांग्रेस इसका समर्थन कर रहे हैं। क्या मुस्लिम प्रबंधन के तहत कॉलेज अन्य धार्मिक समुदायों के छात्रों को प्रार्थना के लिए परिसर देते हैं? यदि मुस्लिम समूह कॉलेजों में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं तो भाजपा कॉलेजों को सुरक्षा देगी।" वहीं, कैथोलिक कांग्रेस ग्लोबल कमेटी ने छात्रों की मांग का समर्थन करने वाले मुख्यधारा के राजनीतिक संगठनों की निंदा करते हुए एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि कुछ छात्र निर्मला कॉलेज के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। सर्कुलर में सवाल किया गया कि गैर-मुस्लिम प्रबंधन को मुस्लिम लड़कियों के लिए नमाज़ की सुविधा क्यों देनी चाहिए, जबकि देशभर की कई मस्जिदें भी मुस्लिम महिलाओं को नमाज़ में शामिल होने की अनुमति नहीं देती हैं। इसमें सुझाव दिया गया कि मुस्लिम मौलवियों को मस्जिदों में महिलाओं के लिए नमाज़ की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। बता दें कि यह घटना निर्मला कॉलेज से 20 किलोमीटर दूर थोडुपुझा के न्यूमैन कॉलेज के मलयालम प्रोफेसर टीजे जोसेफ की याद दिलाती है। दोनों कॉलेज एक ही प्रबंधन के अधीन हैं। 4 जुलाई 2010 को पीएफआई के आतंकवादियों ने ईशनिंदा का आरोप लगाते हुए प्रोफेसर जोसेफ का हाथ काट दिया था और कॉलेज प्रबंधन ने उनके प्रति सहानुभूति नहीं दिखाई थी। निर्मला कॉलेज में हाल ही में हुए घटनाक्रम से केरलवासियों में काफी चिंता पैदा हो गई है, तथा राज्य भर के शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक कट्टरवाद के बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। वायनाड में भीषण बारिश और भूस्खलन से 11 लोगों की दुखद मौत, सैकड़ों फंसे, पीएम मोदी ने किया मुआवज़े का ऐलान दिल्ली के INA मार्केट रेस्टोरेंट में भड़की आग, कई घायल अग्निपथ योजना को लेकर लोकसभा में राहुल गांधी और राजनाथ सिंह के बीच हुई तीखी बहस