बरगद वृक्ष के अनुभूत औषधीय प्रयोग

बरगद को वटवृक्ष भी कहा जाता है. सनातन धर्म में वट-सावत्री नाम का एक त्योहार पूरी तरह वट को ही समर्पित है. जहां तक धार्मिक महत्व की बात है, इस वृक्ष की बड़ी महिमा बताई गई है. वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु व अग्रभाग में शिव का वास माना गया है. यह पेड़ लंबे समय तक अक्षय रहता है, इसलिए इसे 'अक्षयवट' भी कहते हैं. अखंड सौभाग्य और आरोग्य के लिए भी वटवृक्ष की पूजा की जाती है. तो आइये जानते है बरगद वृक्ष के औषधीय प्रयोग-

-तीन महीने तक अगर बरगद के दूध (लेटेक्स) की दो बूंद बताशे में डालकर खाई जाए तो पौरुष शक्ति बढ़ती है.

-बरगद की जड़ों में एंटीऑक्सीडेंट सबसे ज्यादा पाए जाते हैं. इसके इसी गुण के कारण वृद्धावस्था की ओर ले जाने वाले कारकों को दूर भगाया जा सकता है.

-ताजी जड़ों के सिरों को काटकर पानी में कुचला जाए और रस को चेहरे पर लेपित किया जाए तो चेहरे से झुर्रियां दूर हो जाती हैं.

-स्त्रियोँ मे ढीले स्तनो के लिए बरगद की जटाओं के बारीक रेशों को पीसकर लेप बनाया जाए और रोज सोते समय स्तनों पर मालिश करने से कुछ हफ्तों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है.

-लगभग 10 ग्राम बरगद की छाल, कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च को बारीक पीसकर पाउडर बनाया जाए और मंजन किया जाए तो दांतों का हिलना, सडऩ, बदबू आदि दूर होकर दांत साफ और सफ़ेद होते हैं. प्रति दिन कम से कम दो बार इस चूर्ण से मंजन करना चाहिए. 

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