हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को निकलने वाली भगवान जगन्नाथ रथयात्रा इस साल भी 14 जुलाई से शुरू होने वाली है. इस रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ को 45 फीट ऊँचे रथ में बैठकर यात्रा करवाई जाती है. यह त्यौहार पूरे 9 दिनों तक बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन भगवान के रंग में सभी रंग जाते हैं और हर्षोल्लास के साथ उनकी यात्रा में शामिल होते हैं. इस दिन सभी लोग भगवान जगन्नाथ के गुणगान में शामिल होते है और भगवान के रथ को खींचने में सहयोग करते हैं. कहा जाता है कि जो लोग इस रथ को खींचने में सहयोग देते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. मोक्ष की प्राप्ति के लिए लोग यहाँ रथयात्रा में शामिल होते हैं और जयकारे लगाते हैं. जगन्नाथ के इस बड़े रथ को सैकड़ों लोगों के द्वारा बड़े-बड़े और मोटे रस्सों से खींचा जाता है. इस रथयात्रा में सबसे पहले भाई बलराम जी का रथ प्रस्थान के लिए निकलता है. बलराम जी के बाद बहन सुभद्रा जी के रथ का प्रस्थान होता है और सबसे अंत में बड़े से रथ में भगवान जगन्नाथ जी प्रस्थान करते हैं. भगवान के रथ को लोग एक-दूसरे के सहयोग से खींचते हैं और इसका आनंद रथयात्रा में शामिल होने वाले आधे से ज्यादा लोगों को मिलता है. भगवान जगन्नाथ का रथ लाल और पीले रंग का बनाया जाता है जो बाकी रथों की तुलना में काफी बड़ा और शानदार होता है. जगन्नाथ रथयात्रा से जुडी ख़ास बात यह भी है कि इस दिन बारिश जरूर होती है. JAGANNATH RATH YATRA : सबसे पहले पकता है ऊपर के बर्तन का प्रसाद हर शाम बदला जाता है जगन्नाथ मंदिर का ध्वजा यहां भगवान जगन्नाथ की रक्षा करते हैं पवनसुत