मोटे-ताजे, भारी वजनी सूमो देखकर अक्सर बच्चे डर जाते हैं पर जापान में यह सुमों किसी स्टार से कम नहीं होते हैं. सूमो फाइट जापान का सबसे लोकप्रिय और राष्ट्रीय खेल है. काफी लम्बे समय से जापान में यह खेल खेला जा रहा है इसलिए यहाँ सूमो फाइट को पारंपरिक खेल माना जाता है. सूमो फाइट सिर्फ मोटे पहलवानों के अखाड़ा के लिए मशहूर नहीं बल्कि इससे जुड़े कई ऐसे तथ्य भी हैं जो आपको हैरान कर देंगे. अखाड़े से पहले सूमो अखाड़े के भीतर पारंपरिक पोशाक में प्रार्थना करने के साथ सूमो टूर्नामेंट यानि होनजुमो का आगाज होता है. याशुकुनी मठ में होने वाले इस आयोजन को चीन और कोरिया पसंद नहीं करते हैं, क्योंकि वहां द्वितीय विश्वयुद्ध के जापानी बर्बरता का चेहरा बने योद्धाओं के स्मारक भी हैं. पूजा और रिवाज पूरे होने के बाद सभी पहलवान याशुकुनी मठ के खुले अखाड़े में आतें हैं और फिर 8,000 लोग अपने पसंदीदा पहलवानों की प्रतिभा देखते हैं. सूमो फाइटर बनने के लिए महज छह साल की उम्र से खिलाड़ियों को खुद को इस खेल के लिए सौंप देना पड़ता है फाइट से पहले हवा में नक़ल उछालते हैं सूमो पहलवानों के लिए रीति रिवाज काफी अहम होते हैं. फाइट से ठीक पहले सूमो पहलवान हवा में नमक उछालते हैं. वे मानते हैं कि ऐसा करने से अखाड़ा शुद्ध हो जाता है. अथाह लोकप्रिय तमाम तकनीक और ग्लोबल फैशन के बावजूद सूमो फाइटिंग आज भी जापान का नंबर एक खेल है. दूसरे नंबर पर बेसबॉल और तीसरे पर फुटबॉल हैं. सूमो फाइट जीतने के लिए वजन, फुर्ती और ताकत का जबरदस्त तालमेल जरूरी है. उनके मोटे शरीर के भीतर चट्टान जैसी ताकत और गजब की संतुलन शक्ति होती है. अब तक के सबसे वजनी सूमो पहलवान का वजन 326 किलोग्राम दर्ज किया गया. 6 इंच के कंकाल को लेकर वैज्ञानिक परेशान, रेगिस्तान में पड़ा मिला था जानिए क्या हैं इमरान हाशमी की ज़िंदगी के जाने अनजाने पहलू यहाँ दी जाती है चुड़ैल बनने की शिक्षा