चमक सूरज की नहीं मेरे किरदार की है, खबर ये आसमाँ के अखबार की है

तारीख: 5 नवंबर, 2013

समय: 2 बजकर 38 मिनट

स्थान: श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र

सिंपल साड़ियों में एक-दूसरे को गले लगाकर जश्न मनाती भारतीय महिलाओं की तस्वीर जब दुनिया के सामने आई तो हर कोई आश्चर्य से रोमांचित हो उठा. इनकी चेहरे की ख़ुशी देख हर किसी के चेहरे पर मुस्कराहट दौड़ गई. इनके जश्न मनाने का अंदाज ऐसा जैसे पूरी दुनिया जीत ली हो. और हो भी क्यों न, क्यों कि इन महिलाओं की उम्मीदों की उड़ान का सफर जो शुरू हुआ था. यह महिलाऐं हिस्सा बनने जा रही थी, उस अभियान की जिसने आगे चलकर पूरी दुनिया को चौंका दिया था. इसरो ने इस सफलता से ऐसा इतिहास रचा है, जिसका कोई सानी नहीं है. हम बात कर रहे है मंगल मिशन की. वह मंगल मिशन जो कई मामले में समूची दुनिया के लिए नजीर बन गया. इस मिशन ने भारत को दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान दिलाई. भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बना जिसने पहली ही बार में और इतने कम खर्च में मंगल मिशन को पूरा किया.

इस तस्वीर में दिख रही महिलाऐं है ISRO की कार्यक्रम निदेशक सीता सोमसुंदरम, नंदिनी हरिनाथ और मीनल रोहित. भारत की इन बेटियों की मंगल पर तिरंगा लहराने में महत्वपूर्ण भूमिका रही. आज का दिन पूरी दुनिया में विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान के लिए याद किया जाता है. विज्ञान के क्षेत्र में भारत की बेटियों ने हमेशा एक अलग पहचान बनाई है. कल्पना चावला हो या सुनीता विलियम्स या साल 2018 में अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की महिला डॉक्टर शावना पांड्या, इन बेटियों ने अपनी मेहनत के कारण सफलता का एक अलग मुकाम हासिल किया है. भारत की इन बेटियों ने पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाई, लेकिन आज के दिन हम आपको देश की उन बेटियों के बारे में बताते है, जो ज्यादा बहुत पॉपुलर नहीं हुई, जिनका उनका काम ही उनकी पहचान है.

टेसी थॉमस : टेसी थॉमस को बचपन से ही रॉकेट और मिसाइल में दिलचस्पी थी, बाद में यही उनके करियर का पैशन बन गया. उन्होंने बतौर साइंटिस्ट 1988 में अपना करियर शुरू किया. टेसी ने अग्नि 3 के सफल परियोजना में बतौर एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर काम किया. आगे चलकर वह डीआरडीओ के अग्नि-4 मिसाइल परियोजना की डायरेक्टर भी बनी. टेसी थॉमस, 'अग्निपुत्री' के नाम से भी जानी जाती है.

अनु श्रीधरन : कम समय में एक ख़ास मकसद और सफलता की मिसाल है अनु श्रीधरन. अनु, नेक्स्ट ड्रॉप नाम की एक कंपनी की संस्थापक हैं. यह कंपनी SMS के जरिए शहरी इलाकों में पाइप द्वारा घरों में पानी पहुंचने की सूचना देती है. यह कंपनी इस समय कर्नाटक में काम कर रही है. गौरतलब है कि बहुत से शहरी भारतीय परिवारों को दिन या सप्ताह में मात्र कुछ ही समय पीने का पानी मिलता है, लेकिन उन्हें यह पता नहीं होता है कि पानी कब मिलेगा. अनु के उल्लेखनीय काम के चलते ही प्रतिष्ठित पत्रिका फ़ोर्ब्स ने उन्हें दुनिया के उन 30 सोशल एंटरप्रेन्योर्स में चुना जिनकी उम्र 30 वर्ष से कम है.

सलोनी मल्होत्रा : पुणे से इंजीनियरिंग करने वाली सलोनी मल्होत्रा देशी क्रू की संस्थापक हैं. यह संगठन छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में नॉलेज बेस्ड रोजगार के मौके बनाने का काम करती है. उन्होंने तकनीकी की मदद से एक ऐसे काम की शुरुआत की जो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की रोजगार जरूरतों को आसान बनाए. उनके ख़ास काम के तहत बिजनेस वीक ने एशिया की बेस्ट यंगेस्ट एंटरप्रेन्योर के रूप में नॉमिनेट किया. 2009 में सलोनी को फिक्की ने बेस्ट वुमेन सोशल एंटरप्रेन्योर के अवॉर्ड से सम्मानित किया.

रुचि सांघवी : रूचि ऐसी भारतीय युवा कम्प्यूटर इंजीनियर हैं जिन्हें सोशल साईट फेसबुक द्वारा हायर की गई पहली महिला इंजीनियर के तौर पर जाना जाता हैं. उन्हें फेसबुक पर 'फेसबुक प्लेटफॉर्म' और 'न्यूज फीड' जैसी सेवाओं की शुरुआत के लिए याद किया जाता है. 2010 में रुचि ने फेसबुक छोड़ दिया और साल 2011 में दो अन्य सहयोगियों के साथ अपनी कंपनी को शुरू किया, हालाँकि बाद में इस कंपनी को ड्रॉपबॉक्स नाम की एक कंपनी ने खरीद लिया. फेसबुक की और से साल 2011 में रुचि को बेस्ट इंजीनियरिंग लीडरशिप अवॉर्ड प्रदान किया गया.

विजयलक्ष्मी रविन्द्रनाथ : विजयलक्ष्मी रविन्द्रनाथ को न्यूरोसाइंस के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय काम के लिए जाना जाता है. हरियाणा के गुड़गांव में नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर की स्थापना के पीछे इस महिला का बहुत महत्वपूर्ण योगदान था. विज्ञान के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए विजयलक्ष्मी रविन्द्रनाथ को 2000 में प्रोफ़ेसर केपी भार्गव मेमोरियल मेडल का अवॉर्ड, शांति स्वरुप भटनागर अवॉर्ड और 2010 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया.

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