जानिए आखिर क्यों मनाया जाता है विश्व माउंटेन दिवस, पढ़े पूरी कहानी

यह बात तो हम अभिन अच्छी तरह से जानते है कि 11 दिसंबर को इंटरनेशनल माउंटेन डे मनाया जाता है जंहा इस अवसर पर हम आपको उन पर्वतों के बारे में बता रहे हैं, जिनका वर्णन धर्म ग्रंथों में किया गया है. इसी श्रृंखला में आज हम आपको उस पर्वत के बारे में बता रहे हैं, जिसे पार कर पांडव स्वर्ग गए थे. महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत के अनुसार, स्वर्ग जाने की यात्रा के दौरान पांडवों ने हिमालय पर्वत पार किया था. इसे लांघ कर जब पांडव आगे बढ़े तो उन्हें बालू का समुद्र दिखाई दिया. इसके बाद पांडवों ने सुमेरु पर्वत के दर्शन किए. इसके आगे चलते हुए अंत में केवल युधिष्ठिर ही सशरीर स्वर्ग जा पाए.

जानिए कहां है हिमालय पर्वत: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हम आपको बता दें कि हिमालय एक पर्वत तंत्र है, जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है. यह पर्वत तंत्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियों- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है, जो पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2500 किमी की लंबाई में फैली हैं.

वहीं इस बात पर भी गौर फ़रमाया गया है जंहा हिमालय पर्वत पांच देशों की सीमाओं में फैला है. ये देश हैं- पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान और चीन. हिमालय पर्वत की एक चोटी का नाम बन्दरपूंछ है. यह चोटी उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है. इसकी ऊँचाई 20,731 फुट है. इसे सुमेरु भी कहते हैं.

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