वर्क एक्सपेरिएंसेस के लिए ये है बेहतर ऑप्शन

आजकल वर्क एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए स्टूडेंट्स कई बड़ी कंपनियों में फुलटाइम जॉब की बजाय शॉर्ट टर्म के लिए ट्रेनिंग करना पसंद कर रहे हैं। इनकी खास बात है कि इस तरह की इंटरर्नशिप ट्रेनिंग के लिए कैंडिडेट को मासिक तौर पर स्टाइपेंड भी दिया जाता है। इंटरर्नशिप दो माह से लेकर 6-8 माह तक की भी हो सकती है। मैनेजमेंट से लेकर टेक्नीकल, कम्प्यूटिंग आदि से लेकर पत्रकारिता के क्षेत्र में भी इस तरह की ट्रेनिंग का मौका पाया जा सकता है। कुछ मददगार टिप्स भी हैं जिन्हें फॉलो कर आप कुछ माह की इंटरर्नशिप ट्रेनिंग को फुल टाइम जॉब में तब्दील कर सकते हैं। जानें इस बारे में-

ध्यान  ये है कि सबके साथ मिलजुलकर रहें। अपने सीनियर्स से लेकर हमउम्र सहकर्मियों से अच्छे रिलेशन बनाने से कई नई ची जें सीखने को मिलती है। साथ ही आपका पीआर यानी पब्लिक रिलेशन भी बेहतर होता है।कंपनी और उसकी कार्यप्रणाली के बारे में शोध जरूरी है। इससे आप बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित होंगे।उद्देश्यों को तय करना शुरू करें। इंटरर्नशिप के दौरान जो भी टास्क आपको करने को दिए जाएं उसे तय समय से पहले करने की कोशिश करें। इससे सबसे पहले तो आपकी वर्किंग स्किल्स अच्छी होगी और आप फुल टाइम जॉब करने के लिए खुद को तैयार कर पाएंगे।ऑफिस में किसी अच्छे प्रशिक्षक के साथ कार्य करें ताकि कुछ बेहतरीन सीखने को मिले। कोशिश करें कि ऑफिस में अपनी प्रोफेशनल इमेज बनाएं।अपनी फील्ड को अच्छे से समझने के साथ ही दूसरी फील्ड की बारीकियों को समझने का प्रयास करें। अपने सीनियर और बॉस से सवाल-जवाब करते रहें।

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