अयोध्या: अधिक दिन नहीं बीते, जब श्री राम के अस्तित्व को ही नकारने वाले तंज किया करते थे कि ''मंदिर वही बनाएँगे पर तारीख नहीं बताएँगे।'' अब जब अयोध्या के श्री राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की तिथि 22 जनवरी 2024 घोषित हो चुकी है, तो भी इन लोगों के पेट में दर्द होने लगा है कि केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण क्यों दिया गया ? लेकिन, अब जो जानकारी सामने आई है, उससे हो सकता है कि, राम विरोधियों को और भी अधिक दर्द हो। ऐसा इसलिए क्योंकि प्राण-प्रतिष्ठा का निमंत्रण केवल दिल्ली के लोक कल्याण मार्ग के 7 नंबर बंगले (प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास) तक ही सीमित नहीं है, देश के 5 लाख गाँव रामलला के विराजमान होने के गवाह बनेंगे। एक रिपोर्ट के अनुसार, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया है कि राम मंदिर के अनुष्ठान का कार्यक्रम अयोध्या में 16 जनवरी 2024 से प्रारंभ हो जाएगा। 22 जनवरी को भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। इस दौरान लगभग 5 हजार संत-महात्मा और कला, शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाले करीब 5 हजार लोग भी मौजूद रहेंगे। प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अगले दो दिनों तक उत्सव मनाया जाएगा। 'अक्षत' के रूप में आपके घर भी आएगा प्राण-प्रतिष्ठा का निमंत्रण:- चौपाल ने बताया है कि, प्राण-प्रतिष्ठा का निमंत्रण देश के 5 लाख गाँवों तक भेजा जाएगा। इसके लिए देश के 50 प्रमुख केंद्रों से नवंबर में लोगों को अयोध्या आने के लिए कहा गया है। ये लोग अयोध्या से 'निमंत्रण का अक्षत’ लेकर अपने-अपने केंद्रों तक जाएँगे। इन्हीं केंद्रों से प्राण-प्रतिष्ठा के निमंत्रण वाला अक्षत 5 लाख गाँवों में भेजा जाएगा। 22 जनवरी को इन गाँवों में लोगों को अपने-अपने देवस्थल में एकत्र होने के लिए कहा जाएगा। वहाँ लाखों-करोड़ों रामभक्त एक साथ प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम लाइव देख पाएंगे। बता दें कि बिहार विधान परिषद के सदस्य रह चुके कामेश्वर चौपाल विश्व हिंदू परिषद (दक्षिण बिहार) के प्रांतीय अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने ही 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर के नींव की पहली ईंट रखी थी। 2019 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद जब रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन किया गया था, तो उन्हें भी इसमें शामिल किया गया था। वहीं, 25 अक्टूबर 2023 को ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट द्वारा पीएम मोदी को श्री राम जन्मभूमि मंदिर में भगवान श्री रामलला सरकार के श्री विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया था। पीएम मोदी ने इसके बारे में जानकारी देते हुए एक्स पर पोस्ट कर बताया था कि, 'जय सियाराम! आज (25 अक्टूबर) का दिन बहुत भावनाओं से भरा हुआ है। अभी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी मुझसे मेरे निवास स्थान पर मिलने आए थे। उन्होंने मुझे श्रीराम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर अयोध्या आने के लिए निमंत्रित किया है। मैं खुद को बहुत धन्य महसूस कर रहा हूँ। ये मेरा सौभाग्य है कि अपने जीवनकाल में, मैं इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनूँगा।' क्यों चुनी गई 22 जनवरी की तिथि :- कामेश्वर चौपाल बताते हैं कि हिंदू परंपरा में गृह प्रवेश उत्तम योग में ही शुभ माना जाता है। राम मंदिर के लिए हिंदुओं ने 500 वर्षों तक लंबा संघर्ष किया है। 22 जनवरी को उत्तम योग होने के चलते इसे नवनिर्मित राम मंदिर के गर्भगृह में प्राण-प्रतिष्ठा के लिए चुना गया है। बता दें कि प्रभु श्रीराम का जन्म अभिजीत योग में हुआ था। अन्य तिथियों के मुकाबले यह योग 22 जनवरी को काफी समय तक रहेगा। यही वजह है कि प्राण-प्रतिष्ठा के लिए इस तिथि को सबसे उपयुक्त माना गया है। बता दें कि, अभिजीत योग प्रतिदिन आता है, लेकिन इसकी अवधि अलग-अलग होती है। कभी कुछ देर के लिए, तो कभी काफी देर तक यह योग बना रहता है। इसे दिन का सर्वोत्तम या सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। मान्यता है कि इस योग में किसी कार्य को प्रारंभ करने से उसके सफल होने की संभावना अधिक होती है। देश भर के कार सेवकों को कराया जाएगा विशेष दर्शन:- चौपाल ने जानकारी दी है कि 1984 में राम जन्मभूमि पर मंदिर के लिए आंदोलन का शंखनाद होने के बाद से 2019 में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने तक, देश भर के जिन-जिन लोगों ने इस संघर्ष में हिस्सा लिया है, उनको विशेष तौर पर मंदिर में दर्शन कराया जाएगा। देश के विभिन्न हिस्सों से अलग-अलग तिथि पर कारसेवकों को निमंत्रित कर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट उन्हें दर्शन कराएगा। इसी क्रम में नेपाल और उत्तर बिहार के कारसेवकों को 2 फरवरी तो दक्षिण बिहार और झारखंड के कारसेवकों को 3 फरवरी 2024 को दर्शन करवाया जाएगा। केरल: 31 अक्टूबर को बस ऑपरेटरों की हड़ताल, सरकार के सामने रखी ये मांग 2028 तक वैश्विक विकास में 18% हो जाएगा भारत का योगदान, IMF ने जताया अनुमान दलित और OBC समुदाय के लिए कैसे 'वरदान' साबित हुई पीएम स्वनिधि योजना ? SBI ने अपनी रिपोर्ट में दिए तथ्य और आंकड़े