इम्फाल. मणिपुर में इरोम शर्मीला मानव अधिकार कार्यकर्त्ता है, सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम को हटाने के लिए काफी समय तक वह भूख हड़ताल पर रही. चुनाव 2017 में उन्होंने भी दावेदारी की है. बता दे की चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने राज्य अधिकारियो के लिए सुरक्षा लेने से इंकार कर दिया. चुनाव आयोग के निर्देश के बाद इरोम को यह सुरक्षा मुहैया करवाई जा रही थी. एक न्यूज एजेंसी के अनुसार, इरोम ने कहा कि मेरी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है, इसमें डरने की कोई बात नहीं है. उन्होंने साथ में यह भी कहा कि वह सशस्त्र बलों से घिरे होने के वीआईपी संस्कृति को स्वीकृति नहीं देती हैं और आम लोगों के साथ रहना चाहती हैं. दूसरी ओर अतिरिक्त मुख्य सचिव जे सुरेश बाबू ने इस बारे में बताया कि चुनाव आयोग के आदेशों का राज्य अधिकारी निष्ठा से पालन कर रहे हैं, जिसमें उन्होने इरोम शर्मिला को सुरक्षा देने की बात कही है, क्योकि अधिकतर समय इरोम अकेले यात्रा करती हैं. ये भी पढ़े मणिपुर में होगी इस बार बीजेपी की सरकार - प्रकाश जावड़ेकर जहां भी कांग्रेस ने राज किया प्रदेशों के विकास के लिए कुछ नहीं किया साइकिल पर आकर करवाया नामांकन