मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने सिंचाई घोटाले में याचिका के जवाब में बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में एक हलफनामा दर्ज किया जा चुका है, जिसमें उन्होंने उनके खिलाफ आरोपों को 'दुर्भावनापूर्ण' बताया है. वहीं एनसीपी नेता ने बीते मंगलवार को दायर हलफनामे में यह भी कहा कि वर्तमान जांच को सीबीआई या ईडी को सौंपने की कोई आवश्यकता नहीं है. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो के महानिदेशक ने पिछले साल दिसंबर में उच्च न्यायालय में दायर एक हलफनामे में कहा था कि एसीबी की जांच में विदर्भ सिंचाई विकास निगम (VIDC) द्वारा किए गए 12 परियोजनाओं में कथित घोटाले में पवार की कोई संलिप्तता नहीं पाई गई थी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरोप लगाया गया था कि पवार, जो कि VIDC के अध्यक्ष थे और निगम के अधिकारियों ने परियोजनाओं के लिए निविदा जारी करते समय ठेकेदारों के साथ मिलीभगत की, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ. वहीं इस बात का पता चला है कि याचिकाकर्ता, जनमंच के अतुल जगताप ने कथित घोटाले में 4 जनहित याचिकाएं दायर की हैं. उन्होंने HC में एक आवेदन दायर कर मामले की CBI जांच की मांग की थी. जिसकी सुनवाई अभी अदालत में चल रही है और अगली सुनवाई इसी सप्ताह होनी है. वहीं आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि बीते मंगलवार यानी 14 जनवरी 2020 को पवार ने अपने जवाब में कहा कि जगताप खुद एक ठेकेदार हैं और वो खुद अलग-अलग प्रोजेक्ट्स का हिस्सा रहे हैं, ऐसे में हाई कोर्ट को उनकी अपील पर ध्यान नहीं देना चाहिए. जंहा हाल ही में अजीत पवार ने जगताप पर निजी हितों का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी याचिकाएं जनहित में नहीं हैं. पवार ने हलफनामे में कहा, 'मैं इन सभी आरोपों को खारिज करता हूं. वहीं उनका कहना है कि मेरा भ्रष्टाचार से कोई लेना-देना नहीं है. मंत्री और VIDC चेयरमैन रहते हुए मैंने नियमों का पालन किया और बिना किसी भय के और गलत मंशा के अपने कर्तव्यों को निर्वहन किया.' CAA: भाजपा ने जनता को मनाने के लिए तैयारी की जबरदस्त रणनीति, विपक्ष का दुष्प्रचार होगा समाप्त डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का राजनीतिक प्लान हुआ पास, दिल्ली फतह करने के लिए इस पार्टी से मिलाया हाथ फेसबुक पोस्ट मामला: प्रोफ़ेसर की पोस्ट को लेकर भड़के राहुल गाँधी, जबरन छुट्टी पर भेजा गया शिक्षक