इस बार वट सावित्री व्रत 6 जून, बृहस्पतिवार को रखा जाएगा. हिंदू परंपरा में महिलाऐं अपने पति की दीर्घायु एवं सुखद वैवाहिक जीवन के लिए तमाम व्रत का पालन करती हैं. वट सावित्री व्रत भी सौभाग्य प्राप्ति का एक बड़ा व्रत है. ये व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है. वट सावित्री का व्रत साल में एक बार आता है. इस दिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं तथा पूजा-पाठ करती हैं. ये व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए करवाचौथ के व्रत की भांति बेहद विशेष होता है. वही इस व्रत के दिन पूजा के पश्चात् व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए, व्रत कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है। यहां पढ़ें वट सावित्री व्रत कथा:- राजर्षि अश्वपति की एक संतान थी, जिसका नाम था सावित्री। सावित्री की शादी अश्वपति के पुत्र सत्यवान से हुआ था। नारद जी ने अश्वपति को सत्यवान के गुण एवं धर्मात्मा होने के बारे में बताया था। लेकिन उन्हें यह भी बताया था कि सत्यवान की 1 वर्ष पश्चात् ही मृत्यु हो जाएगी। पिता ने सावित्री को बहुत समझाया मगर उन्होंने कहा कि वह सिर्फ सत्यवान से ही विवाह करेंगी तथा किसी से नहीं। सत्यवान अपने माता-पिता के साथ वन में रहते थे। शादी के बाद सावित्री भी उनके साथ में रहने लगीं। सत्यवान की मृत्यु का समय पहले ही बता दिया था इसलिए सावित्री पहले से ही उपवास करने लगी। जब सत्यवान की मृत्यु का दिन आया तो वह लकड़ी काटने के लिए जंगल में जाने लगा। सावित्री ने बोला कि आपके साथ जंगल में मैं भी जाऊंगी। जंगल में जैसे ही सत्यवान वृक्ष पर चढ़ने लगा तो उनके सिर पर तेज दर्द हुआ और वह वृक्ष से आकर नीचे सावित्री की गोद में सिर रख कर लेट गए। वही कुछ वक़्त पश्चात् सावित्री ने देखा कि यमराज के दूत सत्यवान को लेने आए हैं। सावित्री यमराज के पीछे-पीछे चलने लगी। जब यमराज ने देखा कि उनके पीछे कोई आ रहा है तो उन्होंने सावित्री को रोका तथा कहा कि तुम्हारा साथ सत्यवान तक धरती पर था अब सत्यवान को अपना सफर अकेले तय करना है। सावित्री ने कहा मेरा पति जहां जाएगा मैं वही उनके पीछे जाऊंगी, यही धर्म है। यमराज सावित्री के पतिव्रता धर्म से बहुत प्रसन्न हुए तथा उन्होंने एक वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने अपने सास-ससुर की आंखों की रोशनी मांगी। यमराज ने वर देकर आगे बढ़े। फिर से सावित्री पीछे आ गई है। फिर एक और वरदान मांगने को कहा तब सावित्री ने कहा कि मैं चाहती हूं मेरे ससुर का खोया हुआ राजपाट वापस मिल जाए। यह वरदान देकर यमराज आगे बढ़े। फिर वे सावित्री पीछे चल पड़ीं। तब यमराज ने सावित्री को एक और वर मांगने के लिए कहां तब उन्होंने कहा कि मुझे सत्यवान के 100 पुत्रों का वर दें। यमराज ने यह वरदान देकर सत्यवान के प्राण लौटा दिए। सावित्री लौटकर वृक्ष के पास आई तथा देखा कि सत्यवान जीवित हो गए हैं। ऐसे में इस दिन पति की लंबी आयु, सुख, शांति, वैभव, यश, ऐश्वर्य के लिए यह व्रत रखना चाहिए। इन राशियों के शुरू होने वाले है अच्छे दिन, कम होगा साढ़ेसाती का प्रभाव साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए शनि जयंती पर जरूर अपनाएं ये उपाय, मिलेगा छुटकारा इन 4 चीजों को जरूर घर में रखें, कभी नहीं होगी धन की कमी