क्या भारतीय संविधान के खिलाफ है उपमुख्यमंत्री का पद ? सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया फैसला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार (12 फ़रवरी) को एक याचिका खारिज करते हुए कहा कि किसी राज्य में उपमुख्यमंत्री की नियुक्ति असंवैधानिक नहीं है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि पार्टी या सत्ता में पार्टियों के गठबंधन में वरिष्ठ नेताओं को थोड़ा अधिक महत्व देने के लिए कई राज्यों में उपमुख्यमंत्री नियुक्त करने की प्रथा अपनाई जाती है।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि, "भले ही आप किसी को उपमुख्यमंत्री कहते हैं, फिर भी यह एक मंत्री का संदर्भ है। एक उपमुख्यमंत्री राज्य सरकार में पहला और सबसे महत्वपूर्ण मंत्री होता है। यह संविधान का उल्लंघन नहीं करता है।" दरअसल, याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि संविधान में उपमुख्यमंत्री के लिए कोई पद निर्धारित नहीं है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह एक गलत उदाहरण स्थापित करता है और ऐसी नियुक्ति करने के आधार पर सवाल उठाता है।

उपमुख्यमंत्रियों को अक्सर राज्य के मुख्यमंत्री की सहायता के लिए और मंत्रिमंडल में गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं को समायोजित करने के लिए नियुक्त किया जाता है। कुछ बड़े राज्यों में एक से अधिक उपमुख्यमंत्री हैं, जबकि कुछ में एक भी नहीं है। आंध्र प्रदेश में पाँच उपमुख्यमंत्री हैं - किसी भी भारतीय राज्य में सबसे अधिक। उपमुख्यमंत्री का पद कैबिनेट मंत्री के समकक्ष होता है और उन्हें समान वेतन और सुविधाएं मिलती हैं।

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