एक्ट्रेस शेफाली जरीवाला को सॉन्ग "कांटा लगा" के लिए जाना जाता है। इस गाने से उन्होंने सनसनी मचा दी थी और हर तरफ बस शेफाली के ही चर्चे थे। हालांकि, इसके बाद वह इस फेम को बरकरार नहीं रख पाईं। शेफाली जरीवाला को बिग बॉस 13 में भी देखा गया था। अब हाल ही में एक्ट्रेस ने पारस छाबड़ा के पॉडकास्ट में अपनी पर्सनल लाइफ से जुड़ी बातें शेयर की हैं। मुश्किल समय से गुजरीं शेफाली शेफाली ने "कांटा लगा" को लेकर कहा, "आर्टिस्ट को पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। मुझे 'कांटा लगा' से यह पहचान मिली। यह मेरा पहला प्रोजेक्ट था और यह जबरदस्त हिट हुआ। मैं चाहती हूं कि लोग मुझे आज भी मेरे उस गाने से याद रखें। जब 'कांटा लगा' हिट हुआ था, तो हम आर्थिक रूप से कठिन समय से गुजर रहे थे। मेरे पापा ने सारा पैसा खो दिया था। मेरी मां बैंक में काम कर रही थीं। मेरी बहन कॉलेज में पढ़ रही थी और कॉलेज की फीस बहुत ज्यादा थी। मेरी मां ने फीस के लिए अपनी चूड़ियां उधार पर रख दीं। उस दिन मैंने तय किया कि मैं अपनी मां को इतनी चूड़ियां दिलाऊंगी कि वह तय न कर सकें कि कौनसी पहननी है।" मिर्गी के दौरे इसके अलावा शेफाली ने बताया कि उन्हें मिर्गी के दौरे पड़ते थे। उन्होंने कहा, "मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। यह जेनेटिक भी हो सकती है। इसमें दौरे के लक्षण होते हैं। यह ज्यादा स्ट्रेस की वजह से होता है, जब आपका दिमाग स्ट्रेस हैंडल नहीं कर पाता। मुझे पहला दौरा तब पड़ा था जब मैं 15 साल की थी। बोर्ड एग्जाम की वजह से मुझे ओवरस्ट्रेस हो गया था। आज के समय में दवाईयां और अच्छे डॉक्टर्स हैं। अब मुझे 20 साल से दौरे नहीं पड़ते। मैं अब दवाईयां नहीं लेती हूं। लाइफस्टाइल में बदलाव की वजह से यह मैनेज हो सकता है, जैसे खाना, एक्सरसाइज और मेंटल वर्क। जब आपको दौरे पड़ते हैं, तो आप अपनी जीभ काट सकते हो। मुझे दौरा तब पड़ा था जब मैं बालकनी में खड़ी थी। मैं गिर सकती थी और मर सकती थी। आपको पता नहीं होता है कि दौरा कब पड़ेगा।" बेटी गोद लेना चाहती हैं शेफाली इसके अलावा शेफाली ने बताया कि वह बेटी अडॉप्ट करना चाहती हैं। शेफाली ने कहा, "बच्चा गोद लेने का प्रोसेस बहुत लंबा है। फैमिली को समझाना पड़ता है और कानूनी प्रोसेस के कारण समय लग रहा है। हमने पूरी कोशिश कर ली है। हम इंतजार कर रहे हैं कि हमारे घर कब बेटी आएगी।" शेफाली का संदेश शेफाली जरीवाला की कहानी हमें यह सिखाती है कि लाइफ में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं, हमें उनसे हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने अपनी समस्याओं से लड़कर और अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत की है। आज वह एक प्रेरणास्रोत हैं और उनकी कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि संघर्षों का सामना कैसे किया जाए और कैसे अपनी जिंदगी को बेहतर बनाया जाए। तीसरा मेडल हासिल करने से चूकीं मनु भाकर, लेकिन फिर भी रच दिया इतिहास मनु भाकर ने पेरिस ओलिंपिक शूटिंग के फाइनल में किया प्रवेश, कल एक और मेडल की उम्मीद कैंसर से जंग हारे टीम इंडिया के पूर्व कोच अंशुमान गायकवाड़, BCCI ने जताया शोक