क्या तेजी से बढ़ रहा है आपका भी वजन तो अभी हो जाएं सावधान

ज्यादा वजन या मोटापे को स्वास्थ्य के लिए सबसे खराब स्थिति के लिए भी जाना है, जिन लोगों का वजन सामान्य से अधिक होता है उनमें कई प्रकार की गंभीर और क्रोनिक बीमारियों का खतरा भी ज्यादा देखा जाता रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अपनी हाइट के अनुसार वजन को कंट्रोल में रखने की सालाह भी देती है।

वजन बढ़ना या मोटापा वैसे तो सभी उम्र के लोगों के लिए हानिकारक है, पर अध्ययनों में विशेषज्ञ बच्चों में बढ़ती इस समस्या को लेकर चिंता जता रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर आपका बच्चा भी मोटापे का शिकार है और इसपर वक़्त रहते ध्यान न दिया गया तो भविष्य में उसमें कई प्रकार की जानलेवा बीमारियां होने का जोखिम कई गुना तक बढ़ चुका है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बच्चों में मोटापे की समस्या के उपरांत भविष्य में हृदय रोगों के जोखिमों को लेकर सावधान किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, वर्ष 1975 में पांच-19 वर्ष की आयु के 1% से भी कम बच्चे और किशोर मोटे थे, वहीं वर्ष 2016 में ये आंकड़ा बढ़कर 124 मिलियन (12.4 करोड़) (6% लड़कियां और 8% लड़के) हो चुका है। ये निश्चित ही गंभीर समस्या है जिसको लेकर सभी माता-पिता को सावधान हो जाने की जरूरत है।

मोटापा के कारण होने वाली दिक्कतें: मोटापा से मतलब है कि अगर आपका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) आपकी उम्र और लिंग के अन्य लोगों की तुलना में बहुत अधिक है तो इसे मोटा बोला जाता है। बच्चों में मोटापे की परेशानी में वैश्विक वृद्धि देखी जा रही है। भारतीय बच्चे भी इसका तेजी से शिकार हो रहे हैं। कई शोध बताते हैं कि सामान्य से ज्यादा वजन की परेशानी हृदय रोग और डायबिटीज का प्रमुख कारण है। बच्चों में या कम उम्र में वजन बढ़ने से किशोरावस्था या युवावस्था में इन बीमारियों का जोखिम और भी बढ़ जाता है। इसके कारण न सिर्फ क्वालिटी ऑफ लाइफ प्रभावित होती है साथ ही कई मामलों में इसके जानलेवा जोखिम भी होने वाला है।

अधिक वजन वाले बच्चों में हृदय रोगों का खतरा: इतना ही नहीं  एक अध्ययन से पता चलता है कि बचपन में मोटापा की वजह से आगे चलकर उच्च रक्तचाप, ब्लड लिपिड और ब्लड शुगर बढ़ने की परेशानी देखने के लिए मिल सकता है, जिसे काफी गंभीर माना जाता रहा है। शोध में पाया गया है कि मोटे बच्चों में अन्य बच्चों की तुलना में वयस्कावस्था तक मोटापा बने रहने और जिसकी वजह से हृदय रोग और डायबिटीज होने का खतरा पांच गुना तक अधिक हो सकता है।

लो बीएमआई वाले बच्चों की तुलना में हाई BME वाले बच्चों को 30-40 की उम्र में कार्डियोवैस्कुलर रोग होने का जोखिम 40 फीसदी तक ज्यादा हो सकता है। धूम्रपान और हाई BME के साथ ब्लड प्रेशर, लिपिड सहित अन्य जोखिम कारकों की वजह दिल का दौरा और स्ट्रोक होने की आशंका आठ से 10 गुना Jyada   होता है।

वजन को कंट्रोल करने के उपाय करें

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बच्चो में बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता, स्क्रीन टाइम और बाहरी गतिविधियों-व्यायाम की कमी के कारण मोटापे का खतरा तेजी से बढ़ने लग जाता है। आहार के संबंध में, बच्चों को पर्याप्त नाश्ता करना चाहिए, जंक-फास्ट फूड का अधिक सेवन, भोजन में नमक-चीनी की अधिकता की वजह से वजन बढ़ता जा रहा है। डॉक्टर कहते हैं,  स्कूली उम्र के बच्चों कोप्रतिदिन कम से कम 60 मिनट मध्यम से लेकर जोरदार एरोबिक शारीरिक गतिविधि जरूर करनी चाहिए।  जिसके साथ साथ, मांसपेशियों को मजबूत करने वाली गतिविधियां सप्ताह में कम से कम तीन बार किया जाना चाहिए। इसकी मदद से वजन कम करने और शरीर को स्वस्थ रखने में सहायता मिल सकती है।

माता-पिता दें ध्यान:  स्वास्थ्य विशेषज्ञ बोलते है, बच्चों के वजन कंट्रोल के लिए सभी माता-पिता विशेष ध्यान भी दे रहे है। कम उम्र से ही कुछ बातों पर गंभीरता से ध्यान देना आवश्यक है। बच्चों की शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा दें। बाहर खेलने और व्यायाम में भी भेजे जाते है। खाने की स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देते है।  फाइबर-प्रोटीन वाली चीजों का अधिक सेवन करवाए।

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