यरूशलम: इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच कोरोना संकट से निपटने के तरीकों को लेकर जारी विरोध प्रदर्शनों के साथ उनके इस्तीफे की मांग जोर पकड़ रही है. नेतन्याहू के खिलाफ रैलियों में बड़ी तादाद में ऐसे प्रदर्शनकारी शामिल हो रहे हैं, जो युवा हैं, मध्यम वर्ग से हैं और जिनका सियासत से काफी कम जुड़ाव रहा है. उन्हें लगता है कि नेतन्याहू के कथित भ्रष्ट शासन और कोरोना महामारी से निपटने के उनके तरीकों ने देश के युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया है. यरूशलम स्थित थिंक टैंक और प्रदर्शन आंदोलनों में महारत रखने वाले ‘इजराइल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट’ की रिसर्चर तामर हरमन ने कहा कि प्रदर्शनकारी मुख्य रूप से मध्य वर्ग के हैं. वे बरोजगार हो गये हैं. नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाली सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ एवं 25 वर्षीय शाचर ओरेन ने कहा कि यह सिर्फ कोरोना संकट और सरकार के इससे निपटने के तरीकों से संबद्ध नहीं है. बल्कि यह लोगों से भी संबद्ध है जिनके पास भोजन नहीं है और जो जीवन की अन्य जरुरी चीज़ों का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं। मैं उनमें से एक व्यक्ति हूं। ओरेन उन हजारों लोगों में एक हैं, जो नेतन्याहू के आधिकारिक आवास के बाहर एक हफ्ते में कई बार जमा हुए और उनसे इस्तीफे की मांग की. कई युवा प्रदर्शनकारियों की या तो नौकरी चली गई है या वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. वे पीएम के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं और नेतन्याहू के खिलाफ नारेबाज़ी कर रहे हैं. इस वर्ष नहीं खेलेगी कोई मैच भारतीय फुटबॉल टीम, कोरोना के चलते लिया फैसला कोरोना के चमत्कारी इलाज का दावा करना वाला पादरी और उसका बेटा गिरफ्तार रूस: दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन पर सवालिया निशान, 38 लोगों पर ट्रायल, 144 साइड इफ़ेक्ट