नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने घोषणा की है कि लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (LVM3) पर लॉन्च किए गए चंद्रयान -3 मिशन ने अपनी तीसरी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। यह प्रक्रिया, जिसे अर्थ-बाउंड पेरिजी फायरिंग कहा जाता है, चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान की ऊंचाई बढ़ाने के लिए 18 जुलाई को दोपहर 2 बजे से 3 बजे के बीच आयोजित की गई थी। बता दें कि, इससे पहले 17 जुलाई यानि कल दूसरी बारी चंद्रयान-3 की कक्षा बढ़ाई गई थी। जबकि पहली कक्षा 15 जुलाई को बढ़ाई गई थी, चंद्रयान -3 के लॉन्च होने के लगभग डेढ़ दिन बाद। कक्षा बढ़ाने की अगली प्रक्रिया लगभग उसी समय 20 जुलाई, 2023 के लिए निर्धारित है। पृथ्वी से जुड़े इन अभ्यासों का उद्देश्य ISRO को ईंधन बचाने में मदद करना है, क्योंकि अंतरिक्ष यान बार-बार पृथ्वी के पास आता है और फिर प्रत्येक कक्षा के साथ दूर तक जाता है। अंततः, अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की ओर निर्देशित किया जाएगा, जहां यह चंद्रमा के चारों ओर अपनी कक्षा को कम करने के लिए समान प्रक्रिया से गुजरेगा। एक बार जब यह चंद्रमा के चारों ओर 100 किमी की गोलाकार कक्षा में पहुंच जाएगा, तो चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा। बेंगलुरु के पीन्या में स्थित इसरो का टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) चंद्रयान-3 की प्रगति पर करीब से नजर रख रहा है। हालाँकि, अंतरिक्ष यान अधिक समय तक अपनी सीमा में नहीं रहेगा। यही कारण है कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी यूनाइटेड किंगडम और फ्रेंच गुयाना में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के ग्राउंड स्टेशनों के समर्थन का भी उपयोग कर रही है। अंतरिक्ष एजेंसियां अक्सर लागत कम करने के लिए ऐसे अंतरराष्ट्रीय समझौते स्थापित करती हैं। भारत दौरे पर आ रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, पीएम मोदी और महामहिम मुर्मू से करेंगे मुलाकात भाजपा के खिलाफ 'INDIA' होगा विपक्षी गठबंधन का नाम, क्या इससे पूरा होगा 2024 का 'चुनावी' काम ? 'सब चौपट कर दिया, पीएम मोदी से छुटकारा चाहती है जनता..', विपक्ष की एकता बैठक से बीच सीएम केजरीवाल ने बोला हमला