17 जनवरी को पौष माह की पूर्णिमा है, इसी दिन से माघ माह के स्नान शुरू हो चुके है। माघ मास 16 फरवरी तक रहने वाला है। पौष मास की पूर्णिमा से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्त्व है। अगर कोई व्यक्ति इस महीने में रोज स्नान नहीं कर सकता है तो उसे कम से कम एक दिन किसी पवित्र नदी में स्नान अवश्य कर दें। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक माघ माह का महत्व बहुत ज्यादा है। अभी ठंड का वक़्त है, लेकिन रोज सुबह पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए बहुत लोग पहुंचते हैं। मान्यता है कि जो लोग इस महीने में तीर्थ स्नान करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती है और अक्षय पुण्य भी मिलता है। माघ माह के संबंध में पहचाना जाता है कि इस माह में स्वयं भगवान विष्णु गंगाजल में वास कर रहे है। जो लोग माघ मास में गंगा स्नान करते हैं, जाप और दान-पुण्य करते हैं, उन्हें विष्णु जी की विशेष कृपा मिल रही है। नदी में स्नान करने के बाद ऊँ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य अर्पित करना होता है। सूर्य को जल चढ़ाने के उपरांत किसी मंदिर में शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाना होता है। बिल्व पत्र और धूतरा चढ़ाएं, चंदन का तिलक करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करना होती है। माघ माह में भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक अवश्य करें। जिसके लिए दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और शंख से भगवान का अभिषेक करना होता है। भगवान को पीले चमकीले वस्त्र चढ़ाएं। तुलसी के साथ दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय और कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें। जरूरतमंद लोगों को जूते-चप्पल, कंबल और अनाज का दान अवश्य करना होता है। किसी गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। जानिए क्यों सुनी जाती है श्री सत्यनारायण की व्रत कथा 2022 में कब-कब है पूर्णिमा, जानिए व्रत क्यों हैं महत्वपूर्ण आखिर क्यों सिख नहीं खाते तम्बाकू, जानिए दिलचस्प जानकारी