विदेश मंत्री एस जयशंकर का बड़ा बयान सामने आया है. जिसमें उन्होने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद का हल सभी समझौतों का सम्मान करते हुए ही निकाला जाना चाहिए. विदेश मंत्री ने लद्दाख में जारी मौजूदा स्थिति को साल 1962 के टकराव के पश्चात की सबसे गंभीर स्थिति करार दिया है. उनका कहना है कि दोनों देशों की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर तैनात सुरक्षा बलों की तादाद बहुत अधिक है. उन्‍होंने यह भी बताया कि अब तक सभी सीमाई स्थितियों का समाधान कूटनीति के माध्यम ही निकल सकता है. कोरोना की चपेट में आए केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, ट्ववीट कर दी सूचना विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी पुस्तक 'द इंडिया वे स्ट्रैटजिज फार एन अंसर्टेन वर्ल्ड' के लोकार्पण से पहले एक साक्षात्कार में उक्‍त बातें कही. उन्‍होंने कहा कि जैसा कि आप जानते हैं, हम चीन के साथ राजनयिक और सैन्य दोनों चैनलों के जरिए बातचीत कर रहे हैं. वैसे जब बात समाधान निकालने की है तब यह सभी समझौतों एवं सहमतियों के सम्मान के आधार पर किया जाना चाहिए. इस दौरान उन्‍होंने चीन को आगाह किया कि सीमा पर एकतरफा यथास्थिति में बदलाव की कोशिश नहीं होनी चाहिए. 6 माह तक करूँगा कांग्रेस के नए अध्यक्ष का इंतज़ार - गुलाम नबी आज़ाद विदेश मंत्री ने बताया कि भारत और चीन के साथ मिलकर कार्य करने की क्षमता एशिया के भविष्‍य का निर्धारण करेगी. हालांकि उन्‍होंने चीनी हरकतों की ओर इशारा करते हुए यह भी बताया कि उनकी तरफ से खड़ी की जाने वाली दिक्कत इस पर असर डाल सकती हैं. यही वजह है कि दोनों देशों के लिए सीमा पर शांति बेहद महत्वपूर्ण संबंध है. इसके लिए ईमानदार संवाद बनाने की जरूरत है. भारत ने चीनी पक्ष को साफ साफ बता दिया है कि बॉर्डर पर शांति संबंधों का आधार है. हम पिछले तीन दशकों पर गौर करें तो यह स्वंय ही स्पष्ट हो जाता है. अमीरी के 'शिखर' पर जेफ़ बेजोस, बने 200 करोड़ डॉलर की संपत्ति वाले विश्व के पहले शख्स यूपी कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी कलह, नेतृत्व को लेकर हो रही रसाकसी रूस ने किया दुनिया के सबसे ताकतवर परमाणु बम का परिक्षण, जारी किया वीडियो