पाकिस्तान की किताबों में नहीं है जालियांवाला बाग़ का जिक्र, जानिए क्या पढ़ते हैं बच्चे

इस्लामाबाद: भारत के इतिहास में सबसे बड़े नरसंहार के रूप में माने जाने वाले जलियांवाला बाग हत्याकांड को आज 100 वर्ष पूरे हो गए हैं. भारत में इतिहास की किताबों से लेकर पत्र-पत्रिकाओं में इसका पूरा उल्लेख मिलता है और इस दौरान शहीद हुए बहादुरों की वीरता के बारे में जानकारी दी जाती है. किन्तु पाकिस्तान में ऐसा नहीं होता है. एक साथ स्वतंत्र होने के बाद भी पाकिस्तान में बच्चों को इतिहास कुछ अलग ही पढ़ाया जाता है.

भारत की किताबों में जलियांवाला बाग नरसंहार के बारे विस्तार से बताया गया है और कई संगठन भी इसकी याद में कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है. हालांकि पाकिस्तान में ऐसा नहीं होता है, जबकि यह नरसंहार पाकिस्तान के बंटवारे से कई वर्ष पहले हुआ था. उस समय तो बंटवारे की आवाज भी नहीं उठी थी और इस नरसंहार में हिंदू-मुस्लिम, सिख सभी जाति के लोग शामिल थे, जिन्होंने अंग्रेजों की गुलामी के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी. मगर पाकिस्तान की किताबों में इसे स्थान नहीं दिया गया है. आइए जानते हैं आखिर विभाजन के बारे में पाकिस्तान में क्या पढ़ाया जाता है?

आपको बता दें कि भारत की किताबों में पढ़ाया जाता है कि कश्मीर के राजा हरि सिंह बंटवारे के समय किसी भी देश के साथ नहीं जाना चाहते थे. हालांकि जब बाद में घुसपैठियों ने कश्मीर पर हमला कर दिया तो हरि सिंह ने भारत के साथ जाने का फैसला किया. वहीं पाकिस्तान की किताबों में पढ़ाया जाता है कि हरि सिंह ने कश्मीर में मुस्लिमों के साथ बुरा वर्ताव किया और बाद में कई लड़ाकों ने कश्मीर के बड़े हिस्से को उनसे छीन लिया था, जिसके बाद हरि सिंह को भारत में कश्मीर का विलय करना पड़ा.

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