सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू का मामला संविधान पीठ को सौंपा

तमिलनाडु और महाराष्ट्र राज्यों में बैल पर काबू पाने वाले खेल जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने के कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं को अब सुप्रीम कोर्ट पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपेगा.

मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन की पीठ ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा कि “वृहद पीठ ही ये फैसला करेगी कि क्या राज्यों को जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी की दौड़ जैसे मामलों में कानून बनाने की विधायी पात्रता है जो संविधान के अनुच्छेद 29 (1) के अंतर्गत आने वाले सांस्कृतिक अधिकारों के दायर में आते हैं और क्या इन्हें सांविधानिक रूप से संरक्षण दिया जा सकता है.”

शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि “राज्य में कंबाला की अनुमति देने संबंधी कर्नाटक के अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अलग से सुनवाई की जाएगी. ”गौरतलब है कि तमिलनाडु और महाराष्ट्र ने केंद्र के पशुओं के प्रति कूरता की रोकथाम कानून, 1960 में संशोधन किया था और जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी की दौड़ की अनुमति दी थी. दोनों राज्यों का कहना है कि उन्होंने समाज के एक वर्ग के सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाए हैं. पीठ ने कहा कि वो तमिलनाडु और महाराष्ट्र के रवैये को देखते हुए इस विवाद का अंत करना चाहती है. 

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