नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में गत 15 दिसंबर 2019 को CAA के विरोध में हुई हिंसा के दौरान पुलिस की कथित कार्रवाई के बाद मामला भले ही शांत हो गया हो, वहीं बिहार के रहने वाले छात्र छात्र मिन्हाजुद्दीन अब भी उस बवंडर से बाहर नहीं निकल पाए हैं. करीब सप्ताह भर बाद भी मिन्हाजुद्दीन की बातें सुनकर कोई भी भावुक हो जाएगा.मिन्हाजुद्दीन बिहार के रहने वाले हैं और जामिया हिंसा के दौरान बुरी तरह घायल हो गए थे. वहीं मिन्हाजुद्दीन को अब कैंपस में असुरक्षित सा महसूस हो रहा है. उनका आरोप है कि पुलिस की कार्रवाई के दौरान उनकी बायीं आंख पर गंभीर चोट लगी, जिसकी वजह से उनकी आंख की रोशनी आंशिक रूप से चली गई. इस घटना के बाद से वह बेहद सहमत है. सूत्रों का कहना है कि वह एक साल पहले अपने घर बिहार से जामिया मिल्लया इस्लामिया में एलएलएम की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली आए थे. उनका सपना था कि दिल्ली में रहकर एक बेहतर वकील बनेंगे और वकालत की प्रैक्टिस करेंगे. जंहा उन्होंने कहा कि वह कानून एवं व्यवस्था में विश्वास रखते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि 15 दिसंबर 2019 को वह महाविद्यालय में एमफिल और पीएचडी के लिए आरक्षित लाइब्रेरी रूम में पढ़ाई कर रहे थे. तभी उन्हें पता लगा कि यूनिवर्सिटी के बाहर बवाल हो गया है और पुलिस कैंपस में घुसकर छात्रों को भी पीट रही है तो उन्होंने लाइब्रेरी का दरवाजा अंदर से लॉक कर लिया लेकिन पुलिस लाइब्रेरी में जबरन घुस गई. वहीं इस बात का आरोप है कि उसके बाद पुलिस ने वहां मौजूद छात्रों पर लाठियां भांजी और उनके साथ बेहद बुरा बर्ताव किया. उन्होंने कहा कि लाइब्रेरी में मौजूद छात्रों ने पुलिस कर्मियों से रहम की भीख मांगी, लेकिन उनकी कोई बात नहीं सुनी गई. उन्होंने कहा कि लाइब्रेरी में मौजूद कोई भी छात्र प्रदर्शन में शामिल नहीं था, इसके बावजूद उन पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. झारखंड चुनाव: किंग मेकर की भूमिका में आजसू ? भाजपा से सुदेश महतो से किया संपर्क इस बैडमिंटन खिलाड़ी ने जीता बीडब्ल्यूएफ जूनियर खिताब, दूसरी बार फिर जीती ट्रॉफी CAA: उपद्रवियों पर चला योगी सरकार का डंडा, हिरासत में लिए गए 879 प्रदर्शनकारी