श्रीनगर: अयोध्या राम मंदिर विवाद पर मुख्य नयायधीश रंजन गोगोई ने तीन जजों की बेंच का गठन कर 10 जनवरी को सुनवाई करने का ऐलान किया है. इसके बाद पूरे मामले पर राजनेताओं की प्रतिक्रिया भी आने लगी हैं. इसमें सबसे ज्यादा हैरान करने वाला बयान नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने दिया है. राम मंदिर मामला: मौलाना मदनी का विवादित बयान, कहा अदालत पर दबाव डाल रही फिरकापरस्त ताकतें फारुख ने कहा है कि इस मामले पर चर्चा की जानी चाहिए और जल्द ही इसका समाधान ढूंढा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'इस केस को कोर्ट में ले जाने की क्या आवश्यकता है? मुझे पूरा विश्वास है कि बातचीत के माध्यम से इसे सुलझाया जा सकता है.' अब्दुल्ला ने यह भी कहा है कि भगवान राम सिर्फ हिंदुओं के ही नहीं हैं, वे पूरी दुनिया के भगवान हैं. उन्होंने कहा, 'भगवान राम से किसी को कोई बैर नहीं है और होना भी नहीं चाहिए, हमे मामले को सुलझाने की और बनाने की कोशिश करनी चाहिए, जिस दिन ऐसा हो जाएगा, मैं भी एक पत्थर लगाने अयोध्या जाऊंगा.' इस दौरान अब्दुल्ला ने भाजपा पर भी हमला किया, उन्होंने कहा है कि भाजपा ने पिछले पौने पांच साल में कोई कदम नहीं उठाया. उन्होंने कहा है कि, 'मंदिर बनाने से भाजपा का कोई सरोकार नहीं है. तेजस्वी यादव 'प्रवासी पक्षी', मात्र ट्विटर पर कर रहे राजनीति - जदयू अब्दुल्ला ने कहा है कि ये लोग केवल कुर्सी पर बैठने के लिए मंदिर का मुद्दा उठाते हैं.' वहीं इस केस के एक मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि इस मामले का समाधान अदलात में ही होना चाहिए. अंसारी ने राम मंदिर मामले पर पीएम मोदी के उस बयान का भी समर्थन किया है. जिसमें पीएम मोदी ने मंदिर के लिए कानून प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार करने को कहा था. वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी निर्णय होगा, वह सर्वमान्य होगा. खबरें और भी:- आज अमेठी में आमने-सामने होंगे राहुल गाँधी और स्मृति ईरानी, चढ़ेगा सियासी पारा लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा-शिवसेना फिर आएंगे साथ, कैबिनेट मंत्री ने दिए संकेत मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ीं, अब तीन तलाक़ के विरोध में उतरा जदयू