आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए सेना ने लगातार ऑपरेशन जारी रखे हुए है और एक और सख्ती के चलते अब मारे गए आंतकियों के शवों को उनके परिवारजनों को न देते हुए अब अनजान जगह दफन किया जायेगा.सेना के अधिकारी के अनुसार कश्मीर घाटी में लश्कर, जैश और हिज्बुल के टॉप कमांडर के मारे जाने पर उनके शव को उनके परिवार को नहीं सौपा जाएगा. बल्कि ऑपरेशन के दौरान ढेर किये जाने के बाद आतंकियों को अनजान जगह पर दफन करने पर विचार हो रहा है. आतंकियों की भर्ती के आकड़ों की बात करे तो - वर्ष 2018 में विभिन्न आतंकी संगठनों ने 80 युवाओं को अपने साथ शामिल किया है. वही 2017 में ये आँकड़ा 126 था. आंकड़ों के मुताबिक 2010 के बाद यह सर्वाधिक है. वहीं 2010 में 54 2011 में 23 2012 में 21 और 2013 में 6 युवको ने आतंक का हाथ थामा 2014 में यह संख्या 53 हुई, वही 2015 में इजाफे के साथ यह बढ़कर 66 पहुंच गई 'महबूबा अब दोबारा कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सकती' सेना की कार्यवाही तेज, ढेर किए 4 आतंकी कश्मीर पर परवेज मुशर्रफ सही थे, कश्मीरी आजादी ही चाहेंगे...