कश्मीर में भाजपा समर्थित सरपंच की गोली मारकर हत्या, दो दिन पहले आतंकियों ने किया था हिंदू ड्राइवर का क़त्ल

श्रीनगर: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर दहशतगर्दों ने टारगेट किलिंग शुरू कर दी है। घाटी में एक हिंदू व्यक्ति की हत्या करने के बाद आतंकियों ने शुक्रवार (15 अप्रैल 2022) को एक सरपंच को गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया। कश्मीर के बारामूला में जिस सरपंच को गोली मारकर हत्या की गई है, उनका नाम मंजूर अहमद बांगरू बताया गया है।

 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बांगरू शुक्रवार की शाम को कहीं जाने के लिए अपने घर से रवाना हुए थे। उसी दौरान पहले से ही घात लगाए आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया। हमला करने के बाद आतंकी वहाँ से भाग निकले। जब लोगों ने गोलियों की आवाज सुनी तो मौके पर पहुँचे और बांगरू को खून से लथपथ देखकर पुलिस को सूचित किया।  सरपंच बांगरू के पिता का नाम मोहम्मद सादिक है और गोसूबग पट्टन के निवासी थे। बांगरू के भाजपा से जुड़े होने की खबर फैली थी। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में यह भी बताया जा रहा है कि भाजपा से उनका कोई ताल्लुक नहीं था। वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में उन्हें भाजपा समर्थक बताया जा रहा है।

घटना को लेकर स्थानीय पुलिस ने बताया कि बारामूला जिले के पट्टन के गोशबुग इलाके में दहशतगर्दों ने निर्दलीय सरपंच मंजूर अहमद पर गोलीबारी की। इस फायरिंग में वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहाँ चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हत्या के बाद सुरक्षाबलों द्वारा आतंकियों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। पूरे इलाके की घेराबंदी करके आतंकियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है।

बता दें कि इससे पहले बुधवार (13 अप्रैल 2022) की शाम को आतंकियों ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के काकरान के पोम्बे कमप्रीम इलाके में सतीश सिंह राजपूत नामक एक शख्स को गोली मार दी थी। गोली लगने के बाद घायल सतीश सिंह को अस्पताल मे एडमिट कराया गया था, जहाँ उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। मृतक सतीश पेशे से ड्राइवर थे। उसी दिन आतंकियों ने कुलगाम में पोस्टर चिपकाया था, जिसमें बाहरी व्यक्तियों को कश्मीर छोड़ने की धमकी दी गई थी। लश्कर-ए-इस्लाम नामक एक आतंकी संगठन ने अपने पोस्टर में पुलिसकर्मियों और सेना के जवानों को धमकी दी थी। साथ ही पोस्टर में लिखा था कि गैर-कश्मीरी और भारत के विभिन्न हिस्सों से आए हुए लोग तुरंत घाटी छोड़ दें।

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