आप सभी को बता दें कि हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ‘जानकी जयंती’ (Janki Jayanti) मनाई जाती है। ऐसे में इस साल यह पावन जयंती 24 फरवरी, गुरुवार को यानी आज है। वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही मिथिला नरेश राजा जनक (Raja Janak) की दुलारी सीता जी प्रकट हुई थीं। आप सभी को बता दें कि माता सीता को लक्ष्मी जी का ही स्वरूप माना जाता है। जी हाँ और ‘जानकी जयंती’ (Janki Jayanti) के दिन माता सीता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। आप सभी को बता दें कि आज के दिन माता सीता के साथ-साथ प्रभु श्री राम जी का भी पूजन किया जाता है। जी दरअसल धार्मिक मान्यता है कि, माता सीता की पूजा करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और शांति की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, रोग, शोक और संताप से भी मुक्ति मिलती है। अब हम आपको बताते हैं पूजा विधि और मुहूर्त। मुहूर्त- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ- 23 फरवरी को शाम 04 बजकर 56 मिनट पर। व्रत रखने का सही समय : 24 फरवरी 2022। अष्टमी तिथि का समापन- 24 फरवरी को रात 03 बजकर 03 मिनट पर। पूजा विधि- आज के दिन सबसे पहले मर्यादा पुरूषोत्तम राम और माता सीता को प्रणाम करें। उसके बाद नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। अब स्वंय को पवित्र करें और लाल रंग के कपड़े धारण करें। उसके बाद , पूजा गृह में चौकी पर भगवान श्रीराम और माता सीता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर उनकी पूजा भक्तिभाव से करें। अब माता को श्रृंगार की चीजें अवश्य अर्पित करें और माता सीता की पूजा फल, पुष्प, धूप-दीप, दूर्वा आदि चीजों से करें। अब आखिरी में आरती अर्चना कर सुख और समृद्धि की कामना करें। वैसे भक्त चाहे तो अपनी इच्छानुसार दिनभर व्रत कर सकते हैं और संध्याकाल में आरती अर्चना के पश्चात फलाहार करें। जानकी जयंती पर जरूर करें श्री जानकी वन्दना और आरती आखिर हनुमान जी ने ऐसा क्या सुनाया कि खत्म हो गए जानकी माँ के सभी दुःख? बिहार में मठ के महंत की चाक़ू से गोदकर हत्या, संपत्ति को लेकर चल रहा था विवाद