सूरतः देश में पादने की प्रतियोगिता आयोजित की गई। यह प्रतियोगिता गुजरात के सूरत शहर में आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वालों को ‘सबसे लंबी’, ‘सबसे धमाकेदार’ और ‘सबसे संगीतमय’ पाद छोड़नी थी. देश में पहली बार हुए पदेड़ुओं के इस मुकाबले में तीन श्रेणियों में ट्राफियां दी जानी थी और तीनों श्रेणियों के मुकाबले का नामकरण कुछ इस तरह से किया गया था, ‘सबसे लंबी पाद ट्रॉफी, ‘सबसे धमाकेदार पाद ट्रॉफी’ और ‘सबसे संगीतमय पाद ट्रॉफी। मगर मजेदार बात यह है कि सारे पदेड़ुओं को ऐन मौके पर शर्म आ गई और मुकाबले में आखिरी में केवल तीन पदेड़ू ही उतरे. और ये भी कोई कमाल नहीं दिखा पाए। मुकाबले के मानदंडों पर खरा नहीं उतरने के कारण किसी भी पदेड़ू को ट्रॉफी नहीं दी जा सकी। देश में अपनी तरह की यह पहली प्रतियोगिता असफल साबित हुई क्योंकि इसमें हिस्सा लेने वाले तीन प्रतियोगी पाद नहीं छोड़ पाये और उनकी ‘हवा’ निकल गई। सिर्फ तीन ही 'जाबांज' ऐसे थे जो हमेशा ही हंसी मजाक का विषय बनने वाले ‘पाद’ से जुड़ी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए शर्म छोड़कर हिम्मत दिखाते हुए आगे आए थे। प्रतियोगिता के आयोजक यतिन संगोई ने कहा कि वेसु क्षेत्र में स्थित एक ‘बैंक्वेट हॉल’ में आयोजित इस प्रतियोगिता के लिए 60 लोगों ने ‘सबसे लंबी’, ‘सबसे तेज’ और ‘सबसे सुरीली’ पाद का प्रदर्शन करने के लिए पंजीकरण कराया था। हालांकि रविवार को आयोजन स्थल पर मात्र 20 लोग ही पहुंचे. संगोई ने बताया कि इसमें से तीन व्यक्ति ही अपनी शर्म और संकोच छोड़कर मंच पर आए. ये अलग बात है कि इन तीनों की ही हवा खिसक गई। इस मुकाबले को देखने 70 लोग आए थे। पाद मापने के लिए विशेष उपकरण भी मंगाए गए थे। यतिन संगोई ने बताया कि अगली प्रतियोगिता मुंबई में आयोजित की जाएगी। जूनियर फुटबाल: भारत ने एएफसी अंडर-16 चैम्पियनशिप के लिए किया क्वालीफाई भारतीय हॉकी टीम में पहले मुकाबले में बेल्जियम को किया पस्त, इतने अंतर से जीता मैच अर्जुन की तरह एकाग्रता दिखाकर इस भारतीय निशानेबाज ने जीता था पहला ओलंपिक गोल्ड