Jawaani Jaaneman Review: 'जवानी जानेमन' में यह है कमजोर कड़ी, हो सकती यही फ़ैल

Movie Review: जवानी जानेमन कलाकार: सैफ अली खान, आलिया फर्नीचरवाला, तब्बू, कुबरा सैत, कुमुद मिश्रा, फरीदा जलाल, कुकू शारदा और चंकी पांडे आदि। निर्देशक: नितिन कक्कड़ निर्माता: जैकी भगनानी, सैफ अली खान और जय शेवकरमानी रेटिंग: **

इस वर्ष की पहली ब्लॉकबस्टर फिल्म 'तानाजी: द अनसंग वॉरियर' में उदयभान सिंह राठौड़ के किरदार में फिर से चमकने वाले सैफ अली खान इससे पहले और 'रेस 2' के बीच लाइन से 13 फ्लॉप फिल्में दे चुके हैं। एक्टर सैफ की साल की दूसरी फिल्म 'जवानी जानेमन' जब सिनेमाघरों में आई है तो उनकी फिल्म 'तानाजी' भी तमाम सिनेमाघरों में अब तक चल रही है। परन्तु , इस फिल्म का कोई खास फायदा 'जवानी जानेमन' को मिलता दिखता नहीं क्योंकि दोनों फिल्मों का दर्शक वर्ग अलग अलग है। वही 'छिछोरे' किस्म के नायक हिंदी सिनेमा में 90 के दशकों तक ही चले, वही अब जमाना आयुष्मान खुराना और विकी कौशल जैसे नए नायकों का है और सिनेमा को लेकर दर्शकों की बदलती पसंद सैफ अली खान पर फिर एक बार भारी पड़ने वाली है। इसके अलावा 'जवानी जानेमन' कहानी है जसविंदर सिंह उर्फ जैज की जिसके जीवन में मस्ती और मोहब्बत के सिवा दूसरा कोई खास काम दिखता नहीं है। अपनी से आधी उम्र की लड़कियों की सोहबत में उसकी जिंदगी बीत रही है और तभी कहानी में आता है ट्विस्ट टिया के रूप में। वही टिया कॉलेज की तरफ से एमस्टर्डम घूमने जाती है और गर्भवती हो जाती है। साथ ही अपने पिता का पता लगाते लगाते वह जैज के घर आ धमकती है और कहानी में उसकी मां भी है। ऐसे में वह विपश्यना से सम्मोहित है और उसके पास योग का ऐसा खजाना है कि एक बार को तो बाबा रामदेव भी फेल हो जाएं।

'जवानी जानेमन' के साथ सबसे बड़ी दिक्कत है इसकी कहानी और इस फिल्म को बनाने का निर्माता जैकी भगनानी का मकसद। जैकी फिल्मों में बतौर हीरो पूरी तरह फ्लॉप हो चुके हैं। पिता वाशू भगनानी की अकूत दौलत को खर्च करने का उनके पास आसान तरीका है फिल्में बनाना। परन्तु , अपने पिता की तरह उनके पास सिनेमा की सही समझ नही है। वही वाशू ने हिंदी सिनेमा में 'हीरो नंबर वन', 'कुली नंबर वन', 'बीवी नंबर वन' और 'बड़े मियां छोटे मियां' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाईं। उन्हें हिंदी सिनेमा के दर्शकों की नब्ज पता थी। इसके साथ ही जैकी के पास जो फिल्म डॉक्टर हैं, वे उनको सही सलाह नहीं दे रहे।वही 'जवानी जानेमन' बनाने वाली टीम का एक अतरंगी जीवनशैली में भरोसा करना ही इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है। हिंदी सिनेमा के दर्शक कितने भी आधुनिक क्यों न हो जाएं, वे ऐसी छिछोरे किस्म के नायक से कभी लगाव महसूस नहीं कर सकते। सैफ अली खान ने अपनी तरफ से फिल्म को पटरी पर बनाए रखने की पूरी कोशिश की है। वही हर पल मस्ती में डूबे रहने वाले इंसान से एक पिता के किरदार में वह बहुत ही आसानी से पहुंच भी जाते हैं। लेकिन , फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी हैं उनकी पूर्व पार्टनर तब्बू। इसके अलावा तब्बू की अरसे बाद आई ये एक कमजोर फिल्म है। उनके संवाद हुसैन दलाल ने बहुत ही हल्के लिखे हैं और निर्देशक नितिन कक्कड़ एक सीन भी ऐसा नहीं बना पाए जो तब्बू के करियर ग्राफ में इस फिल्म को नगीना बना पाता है ।

इसके अलावा निर्माता और निर्देशक दोनों का पूरा जोर इस फिल्म में नए चेहरे आलिया फर्नीचरवाला को हिंदी सिनेमा की नई हीरोइन बनाने पर दिखता है। आलिया ने मेहनत भी काफी की है, लेकिन आलिया भट्ट, सारा अली खान और दिशा पटानी जैसी दमदार अभिनेत्रियों के बीच अपनी सुरक्षित जगह बना पाना उनके लिए अभी दूर की कौड़ी है। उन्हें अपने हिंदी उच्चारण पर भी अभी काफी काम करना है।'जवानी जानेमन' के निर्देशक नितिन कक्कड़ इससे पहले जैकी भगनानी को हीरो लेकर सुपरफ्लॉप फिल्म 'मित्रों' बना चुके हैं। सलमान खान की बनाई फिल्म 'नोटबुक' में हालांकि वह दो कदम आगे चले थे, परन्तु 'जवानी जानेमन' उन्हें फिर चार कदम पीछे खींच लाई है। नितिन के निर्देशन में भ्रम की भरमार दिखती है। वह आखिर तक समझ नहीं पाते कि फिल्म की कहानी को क्लाइमेक्स तक कैसे पहुंचाएं, ये कमी उनकी फिल्म फिल्मिस्तान में भी रही। फिल्म का संगीत दोयम दर्जे का है और तकनीकी पक्ष बेहद औसत। 

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