नई दिल्ली: एक दौर में देश की शीर्ष एयरलाइन कंपनियों में शामिल रही जेट एयरवेज इन दिनों कर्ज के बोझ तले दबी हुई है। यहां तक कि कंपनी की आधी हिस्सेदारी महज 1 रुपये में बिकने जा रही है। कंपनी को ऋण देने वाले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अध्यक्षता वाले सरकारी बैंकों के समूह ने कंपनी के 50।1 पर्सेंट शेयरों को 1 रुपये में खरीदने की बात कही है। यह सौदा कंपनी को दिए गए ऋण के पुनर्गठन के लिए है। कारोबार की शुरुआत के साथ ही बाजार ने पकड़ी रफ़्तार बीते लगभग एक दशक से देश की टॉप 3 एयरलाइंस में शामिल रही एयरलाइन्स जेट एयरवेज को कभी टिकट एजेंट रहे नरेश गोयल ने स्थापित किया था। इस कंपनी ने ही 1990 के दशक में एविएशन सेक्टर में सरकारी कंपनियों के वर्चस्व को ख़त्म कर दिया था। वर्तमान में इस कंपनी में 24 पर्सेंट हिस्सेदारी अबू धाबी की एतिहाद एयरवेज के पास है। जेट एयरवेज ने भारत के एयर सेक्टर में एक तरह से सस्ती उड़ानों का दौर शुरू किया था। फ्यूल पर भारी टैक्स और यात्रियों की तरफ से खाने और मनोरंजन पर प्रीमियम चुकाने में कोताही बरतने के कारण कंपनी की आमदनी में जोरदार गिरावट आई। भारत को चुनिंदा और बड़े बैंकों की दरकार, इसलिए बैंकों का विलय कर रही सरकार - अरुण जेटली बजट ऑपरेटर्स के मुकाबले जेट एयरवेज ने कई महत्वपूर्ण सुविधाएं लोगों को करीब-करीब फ्री में प्रदान कीं। यही कारण रहा कि कंपनी लगातार कर्ज के बोझ में दबती चली गई। जेट एयरवेज का बने रहना सरकार के लिए भी बेहद आवश्यक है। इसका कारण यह है कि फिलहाल रोजगार उत्पन्न न कर पाने के आरोपों में घिरी केंद्र सरकार कंपनी के फेल होने पर निशाने पर आ सकती है। जेट एयरवेज ने 23,000 लोगों को नौकरी दे रखी है। यदि कंपनी में किसी तरह का बिखराव होता है तो इतने लोगों के लिए रोजगार का खतरा उत्पन्न हो जाएगा। खबरें और भी:- ये करोड़पति आदमी पहाड़ खरीदकर उसपर बनवाना चाहता है अपना स्टेचू परफॉर्मेंस के बाद भी सपना चौधरी को नहीं मिली पूरी रकम, भाई ने कराई पुलिस में शिकायत दर्ज वित्तमंत्री अरुण जेटली ने लिया आरबीआई बोर्ड की बैठक में हिस्सा