कांग्रेस का आत्मविश्वास महाराष्ट्र के घटनाक्रम के बाद बढ़ा है.उसे झारखंड से बेहतर नतीजे मिलने की उम्मीद है, जहां 23 दिसंबर को वोटों की गिनती होनी है. यूपीए सरकार में मंत्री रहे आरपीएन सिंह झारखंड में कांग्रेस के प्रभारी हैं. उनका कहना है कि झारखंड में बीजेपी की बेचैनी इसी बात से समझी जा सकती है कि जिस राज्य में कांग्रेस की आज तक सत्ता न रही हो, उस राज्य के पिछड़ेपन के लिए भी कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. उन्नाव : गैंगरेप पीड़ित युवती को जिंदा जलाने का कोशिश, पुलिस ने सही समय पर की कारवाई आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इन चुनावों में आप क्या मुद्दे लेकर जा रहे हैं?यहां रघुवर दास के खिलाफ बहुत ज्यादा एंटी इनकंबेंसी है. उन्होंने जनता से जो वादे किए थे, उनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ. पांच सालों में भूख से मौतें हुईं, हजारों लोगों की नौकरियां चली गईं, भ्रष्टाचार चरम पर है. यहां किसान आत्महत्या कर रहे हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य खस्ताहाल है. इलेक्शन हम इन्हीं मुद्दों पर लड़ रहे हैं. प्याज की माला पहन विधानसभा पहुंचे कांग्रेसी, धरने पर बैठे तीर्थ-पुरोहित चुनावी तैयारी को लेकर झारखंड में कांग्रेस, जेएमएम और आरजेडी का गठबंधन पूरी तरह से मजबूत है, वही दुसरी और बीजेपी के जितने सहयोगी दल हैं, वे अलग हो रहे हैं. 19 साल तक आजसू इनकी लोकल सहयोगी रही, इस बार अलग होकर चुनाव लड़ रही है. जेडीयू और एलजेपी जैसे उनके सहयोगी दल भी अलग लड़ रहे हैं. सबसे बड़ी बात कि लोगों में इस सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश है. मुझे लगता है कि इस बार झारखंड की जनता ने विपक्ष को मौका देने का मन बना लिया है. मालाप्पुरम दौरे पर पहुंचे राहुल गाँधी, 11वीं की छात्रा बनी ट्रांसलेटर गुजरात सरकार ने बदले ट्रैफिक के नियम, अब उल्लंघन करने वालों को देना होगा ये जुर्माना महाराष्‍ट्र: भाजपा के विधायकों ने की बगावत करने की तैयारी !, महाविकास आघाड़ी में शामिल होने को तैयार