रांची: संथाल परगना के प्रशासनिक मुख्यालय दुमका से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित इस छोटे से कस्बे में झारखंड मुक्ति मोर्चे के कार्यकारी अध्यक्ष और चुनाव में यूपीए का चेहरा हेमंत सोरेन डेरा डाले हुए हैं. जंहा आदिवासियों के बीच दिशोम गुरु की उपाधि से नवाजे गए शिबू सोरेन के वारिस हेमंत इस समय दोहरी चुनौती से लड़ रहा है. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि एक तरफ उनके सामने झामुमो के गढ़ माने जाने वाले आदिवासी बहुल संथाल परगना की सभी 16 सीटों पर यूपीए को जिताने की चुनौती है तो दूसरी तरफ दुमका और बरहेट दोनों विधानसभा सीटों पर खुद चुनाव जीतने का संकल्प लिया है. जबकि हेमंत सोरेन को घेरने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैदान में उतर चुके है. मोदी ने पहले दुमका में और फिर बीते मंगलवार यानी 17 दिसंबर 2019 को बरहेट में चुनावी सभा करके झामुमो कांग्रेस और हेमंत पर निशाना ताना हुआ है. दुमका और बरहेट दोनों ही क्षेत्रों से जीत तय: मिली जानकारी के मुताबिक हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री रघुबर दास अपनी सरकार द्वारा संथाल परगना को विकास के लिए आवंटित धनराशि जो उनकी पूर्ववर्ती सरकारों से कहीं ज्यादा थी का हवाला देकर विकास के नाम पर वोट की मांग कर रहे है. लेकिन बरहेट के अपने घर में अमर उजाला से बात करते हुए हेमंत सोरेन कहते हैं कि इस बार दुमका और बरहेट दोनों ही क्षेत्रों से उनकी जीत तय है, क्योंकि संथाल परगना अब अगली सरकार की कमान अपने हाथ में चाहता है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो नेता हेमंत सोरेन 2014 में भी दुमका और बरहेट से चुनाव लड़े थे, लेकिन दुमका से वह हार गए थे. लेकिन जिसके बाद भी दुमका में उनका मुकाबला भाजपा की लुईस फर्नांडीस से होने वाला है जिन्होंने पिछली बार हेमंत को करारी हार दी थी. लुईस रघुबर सरकार में मंत्री हैं और उनकी सबसे बडी ताकत है कि यहां शहर में भाजपा का ठोस जनाधार है. राजस्थान की गहलोत सरकार को पूरा हुआ एक साल, भाजपा ने जमकर लगाए आरोप छात्रा की मौत पर राजद ने माँगा नितीश कुमार का इस्तीफा, भाजपा ने किया पलटवार अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस 2019: हर साल भारतीय प्रवासी भजते है 57 करोड़ रूपये