रांची। राज्य की रघुवर दास सरकार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने मायूस कर दिया है। दरअसल सरकार के पास राज्यपाल मुर्मू ने छोटानागपुर काश्तकारी और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम संशोधन विधेयक बिना हस्ताक्षर वापस भेज दिया है। इस मामले में राज्यपाल ने सवाल किया है कि आखिर इन अधिनियमों से आदिवासियों को क्या लाभ होगा। बहरहाल अहस्ताक्षरित विधेयक को राज्य की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने प्राप्त कर लिया। इस मामले में बीजेपी के खूंटी से सांसद करिया मुंडा ने अपनी ही सरकार के बिल का खुलकर विरोध किया है। उन्होंने कहा मैं सरकार के बिल में सशोधन का विरोध करता हूं क्योंकि वह आदिवासी हित में नहीं हैं। गौरतलब है कि विधेयक में जिस संशोधन की बात कही गई थी उसके तहत यह बात शामिल की जाना थी कि जमीन का लैंड यूज़ बदलकर इसे गैर कृषि कार्य के लिए उपयोग में लिए जाने का प्रावधान भी कया जाए। इसमें यह प्रावधान किए जाने की बात कही गई थी कि जमीन का मालिकाना हक आदिवासी के पास ही होगा। मगर यदि जिस काम के लिए जमीन ली जानी है उस कार्य के लिए 5 वर्ष तक उसका उपयोग नहीं किया जाता तो फिर जमीन मालिक के पास वापस जा सकती है। मगर विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध किया और कहा कि सरकार काॅर्पोरेट को लाभ पहुंचाना चाहती है यह विधेयक उद्योगपतियों को प्रसन्न करने के लिए लाया जा रहा है। इस मामले में विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने जमकर विरोध किया और कहा कि भाजपा सरकार आदिवासियों के विरोध में कार्य कर रही है। ऐसे में हम विरोधी आंदोलन करेंगे। दूसरी ओर जेवीएम प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार को कॉर्पोरेट के फायदे के बजाय जनता के फायदे के लिए काम करना चाहिए। झारखंड लोक सेवा आयोग में 396 पदों पर आई एक बेहतर जॉब बैंक ऑफ इंडिया में आई वैकेंसी के लिए जल्द करें अप्लाई झारखंड में कर्ज के बोझ तले दबे किसान ने की ख़ुदकुशी