आदिवासी घटे, बांग्लादेशी बढ़े ! हाई कोर्ट को लेना पड़ा संज्ञान, सरकार से कहा- घुसपैठियों की पहचान कर बाहर निकालो

रांची: झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ और वनवासियों की घटती आबादी का मुद्दा हाल ही में प्रमुखता से उभरा है। झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को संथाल परगना क्षेत्र में रहने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने और उनकी गिनती करने तथा उनके निर्वासन के लिए कार्ययोजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। न्यायालय का यह निर्देश न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति अरुण कुमार राय की पीठ से आया, जिन्होंने दुमका, पाकुड़, जामताड़ा, देवघर, साहेबगंज और गोड्डा के जिलाधिकारियों (डीएम) को इन जिलों में घुसपैठियों की संख्या पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

अदालती कार्यवाही के दौरान, राज्य सरकार ने तर्क दिया कि पुलिस घुसपैठियों की पहचान करने में संघर्ष कर रही है। जवाब में, अदालत ने इस मुद्दे को संभालने के लिए एक विशेष टीम के गठन पर जोर दिया, यह देखते हुए कि इन व्यक्तियों के बीच राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड जैसे नकली दस्तावेजों का उपयोग प्रचलित था। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि स्थानीय अधिकारों को हड़पने के लिए ऐसे दस्तावेजों का दुरुपयोग किया गया था और राज्य सरकार को इस उद्देश्य के लिए एक समर्पित टीम स्थापित करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने प्रभावित जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को यह भी निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि राशन कार्ड, वोटर आईडी, आधार कार्ड और बीपीएल कार्ड जैसे दस्तावेज "अधिकारों के रिकॉर्ड" की पुष्टि करने के बाद ही जारी किए जाएं। इस मामले में अगली सुनवाई 22 अगस्त को होनी है। ये निर्देश 8 अगस्त को जारी किए गए कोर्ट के आदेश में दिए गए हैं, जिसकी एक कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है। संथाल परगना के निवासी लंबे समय से घुसपैठियों और आदिवासियों की घटती संख्या के मुद्दे पर मुखर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस क्षेत्र में बदलती जनसांख्यिकी पर चिंता व्यक्त की है। संथाल परगना की बांग्लादेश से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी और पश्चिम बंगाल के साथ इसकी सीमा इस घुसपैठ को आसान बनाती है।

याचिकाकर्ता के वकील के अनुसार, संथाल परगना में मूल निवासियों की जनसंख्या 1951 में 44.67% से घटकर 2011 में 28.11% हो गई है। इस बीच, मुस्लिम जनसंख्या 1951 में 9.44% से बढ़कर 2011 में 22.73% हो गई है। जनहित याचिका (PIL) जमशेदपुर निवासी दानियाल दानिश द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने आरोप लगाया था कि बांग्लादेशी घुसपैठिए न केवल जनसांख्यिकी परिदृश्य को बदल रहे हैं, बल्कि स्वदेशी महिलाओं से शादी कर रहे हैं, उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर रहे हैं और उपहार के रूप में उनकी जमीनें हड़प रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि इन घुसपैठियों ने झारखंड के सीमावर्ती जिलों में कई मस्जिदें और मदरसे स्थापित किए हैं।

25 जुलाई 2024 को गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में यह मुद्दा उठाया और संथाल परगना में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) लागू करने की मांग की। दुबे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जहां आम तौर पर मतदाताओं की संख्या में 15-17% की वृद्धि होती है, वहीं कुछ क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी में 123% की वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि झारखंड में 25 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां जनसंख्या वृद्धि चिंताजनक है।

दुबे ने पाकुड़ जिले के तारानगर इलाके में हाल ही में हुए दंगों का भी जिक्र किया और कहा कि बंगाल और मालदा तथा मुर्शिदाबाद जैसे इलाकों से लोगों के आने से स्थानीय निवासियों को वहां से खदेड़ दिया गया। उन्होंने संविधान के खतरे में होने के विपक्ष के दावों की आलोचना की और कहा कि यह राजनीतिक मुद्दे हैं। उन्होंने कहा कि जब झारखंड 2000 में अलग राज्य बना था, तब संथाल परगना क्षेत्र में 36% आदिवासी आबादी थी, जो अब घटकर 26% रह गई है, जिससे गायब 10% आबादी के भाग्य पर सवाल उठता है।

पानी के दबाव से टूटा तुंगभद्रा बांध का गेट, स्थानीय लोगों के लिए चेतावनी जारी, अलर्ट पर NDRF

उत्तर प्रदेश भाजपा "हर घर तिरंगा" अभियान के तहत सभी विधानसभा क्षेत्रों में निकालेगी "तिरंगा मार्च"

असम के सीएम हिमंत सरमा ने घुसपैठ और अधूरे वादों को लेकर झारखंड सरकार पर साधा निशाना

Related News