झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर अब HC ने लगाई फटकार, तब जाकर जागी सोरेन सरकार, शुरू हुई जांच

रांची: झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद प्रशासन ने राज्य के संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ की जांच शुरू कर दी है। साहिबगंज जिले के उपायुक्त हेमंत सती ने घुसपैठ की जांच के लिए एक समिति बनाई है, जिसमें राजमहल के अपर समाहर्ता, सीओ और एसडीपीओ जैसे जिले के शीर्ष अधिकारी शामिल हैं। यह समिति पूरे जिले में बांग्लादेशी घुसपैठ की जांच करेगी। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि संथाल परगना के अन्य जिलों में भी इसी तरह की समितियां गठित की जाएं। इससे पहले पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने एक वीडियो भी शेयर किया था, जिसमे अवैध बांग्लादेशी आदिवासियों को धमकाते नज़र आ रहे थे। मरांडी ने आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की थी और आरोप लगाया था कि, इस तरह के कई मामले झारखंड में सामने आ रहे हैं, लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति के चलते राज्य सरकार उन पर ध्यान नहीं दे रही है।   

 

3 जुलाई, 2024 को न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति एके राय की पीठ ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर राज्य में घुसपैठियों की पहचान कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। न्यायालय ने केंद्र सरकार से भी रिपोर्ट मांगी है। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि संथाल परगना के सभी उपायुक्त (DC) बांग्लादेशी घुसपैठ से निपटने के लिए समन्वय करें। ये उपाय डेनियल डेनिश की याचिका की सुनवाई के दौरान किए गए, जिसमें बताया गया था कि प्रतिबंधित बांग्लादेशी संगठन झारखंड में आदिवासी लड़कियों से शादी कर उनका धर्म परिवर्तन कर रहे हैं और साथ ही नए मदरसे भी खोल रहे हैं। प्रभावित जिलों में गोड्डा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज और पाकुड़ शामिल हैं।

 

झारखंड में यह मुद्दा खास तौर पर पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे जिलों में चिंता का विषय बना हुआ है। घुसपैठिए अक्सर बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल में प्रवेश करते हैं और फिर झारखंड में चले जाते हैं। भूमि विवादों के अलावा, घुसपैठ के मुद्दे ने चुनावों को प्रभावित किया है। भाजपा की एक हालिया रिपोर्ट में मुस्लिम बहुल इलाकों में मतदाताओं की संख्या में संदिग्ध वृद्धि का संकेत दिया गया है, जो 10 विधानसभा क्षेत्रों के 1,467 मतदान केंद्रों पर 20% से 123% तक है। आम तौर पर, पांच वर्षों में मतदाताओं की संख्या में 15% से 17% की वृद्धि होती है, लेकिन ये आंकड़े असामान्य रूप से अधिक हैं। भाजपा ने कहा कि हिंदू बहुल बूथों पर मतदाताओं की संख्या में केवल 8% से 10% की वृद्धि हुई है, जबकि कुछ बूथों पर हिंदू मतदाताओं की संख्या में कमी आई है। पार्टी ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक अधिकारियों ने अवैध रूप से विदेशी घुसपैठियों को मतदाता के रूप में पंजीकृत किया है, जो संभावित जनसांख्यिकीय परिवर्तन की साजिश का संकेत देता है।

 

जनसांख्यिकीय परिवर्तन का मुद्दा नया नहीं है। मार्च 2024 में मीडिया एक रिपोर्ट में भी ऐसी ही चिंताओं को उजागर किया गया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि कैसे बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए पश्चिम बंगाल के रास्ते इस क्षेत्र में बसते हैं, अक्सर आदिवासी लड़कियों से शादी करते हैं और उनके ज़रिए ज़मीन हासिल करते हैं। इन घुसपैठियों को कथित तौर पर इन गतिविधियों के लिए धन मिलता है और वे सरकारी लाभ पाने के लिए लड़कियों की आदिवासी पहचान का इस्तेमाल करते हैं। मुसलमानों से शादी करने वाली कुछ लड़कियों को चुनाव भी लड़ाया जाता है। इसके अलावा, रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि घुसपैठिए क्षेत्र के खनन संसाधनों को निशाना बनाते हैं। वे अक्सर झारखंड में आने पर नकली पहचान पत्र प्राप्त करते हैं, जो क्षेत्र में पहले से बसे लोगों की सहायता से क्षेत्र की पहचान में धीमी गति से बदलाव में योगदान देता है।

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