जानिये कौन है भगवान झूलेलाल, पढ़िए कथा

Jhulelal Jayanti 2020 Date: झूलेलाल जयंती सिंधी लोगों का महत्वपूर्ण पर्व है।इसके साथ ही  इस धार्मिक त्योहार को भगवान झूलेलाल के जन्मोत्सव के रूप में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। वहीं इस पर्व को चेटी चंड (Cheti Chand 2020) के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ ही धार्मिक मान्यता के मुताबिक , वहीं ऐसा माना जाता है कि भगवान झूलेलाल जल के देवता वरुण हैं। चलिए जानते हैं झूलेलाल जयंती कब है? इसकी मनाने की विधि और मुहूर्त क्या है। इसके साथ ही जानते हैं झूलेलाल की कथा।

कब है झूले लाल जयंती? (Jhulelal Jayanti 2020 Date) हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चेटी चंड या झूलेलाल जयंती प्रति वर्ष चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनायी जाती है। वहीं कहते हैं इसी दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था। इसके साथ ही इस बार यह तिथि 25 मार्च 2020 को पड़ रही है। वहीं इसलिए झूलेलाल जयंती पर्व 25 मार्च बुधवार को है।

झूलेलाल जयंती 2020 शुभ मुहूर्त  चेटी चंड मूहूर्त - शाम 6 बजकर 35 मिनट से शाम 7 बजकर 24 मिनट तक

झूलेलाल जयंती मनाने की विधि प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें। नदी, समुद्र या तालाब के पास एकत्रित हों। इसके बाद विधि-विधान से भगवान झूलेलाल की आराधना करें। पूजा सामाग्री को जल में प्रवाह करें। अब भगवान झूलेलाल से अपने सुखी जीवन की कामना करें। इसके बाद जलीय जीवों को चारा खिलाएं। लोगों में मीठे चावल, उबले नमकीन चने और शरबत का प्रसाद बांटा जाता है।

झूलेलाल जयंती का धार्मिक महत्व जैसा कि हम जानते हैं कि झूलेलाल जयंती का पर्व सिंधी समाज के लोगों का प्रमुख त्योहार है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक , भगवान झूलेलाल वरुण देवता के रूप हैं। वहीं कहते हैं सिंधी समाज के लोग जलमार्ग से यात्रा करते थे। वहीं ऐसे में वे अपनी यात्रा को सकुशल बनाने के लिए जल देवता झूलेलाल से प्रार्थना करते थे और यात्रा सफल होने पर भगवान झूलेलाल का आभार व्यक्त किया जाता था। सिंधी समाज के लोग इसे नववर्ष के रूप में भी मनाते हैं।

झूलेलाल जयंती से जुड़ी मान्यता इसके साथ ही आपको बता दें की झूलेलाल जयंती से जुड़ी मान्यता के मुताबिक  ऐसा कहा जाता है कि सिंधु प्रांत में मिरखशाह नामक राजा था। वहीं जो लोगों पर अत्याचार करता था। इस क्रूर राजा के अत्याचारी शासन से मुक्ति के लिए लोगों ने 40 दिनों तक कठिन तप किया। लोगों की साधना से प्रसन्न होकर भगवान झूलेलाल स्वयं प्रकट हुए और उन्होंने सिंध के लोगों से वादा किया कि वे 40 दिन बाद एक बालक के रूप में जन्म लेंगे और मिरखशाह के अत्याचारों से प्रजा को मुक्ति दिलाएंगे। इसके बाद चैत्र माह की द्वितीया तिथि को एक बालक ने जन्म लिया जिसका नाम उडेरोलाल रखा गया। वहीं उस बालक ने मिरखशाह के अत्याचार से सभी की रक्षा की। तब से आज ही के दिन से सिंधी समाज के लोग झूलेलाल जयंती उत्सव मनाते हैं।

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