बचपन से ही मुश्किलों में घिरा रहा जितेंद्र का जीवन

जितेंद्र कुमार, जिन्हें हम सभी 'कोटा फैक्ट्री' के जीतू भैया और 'पंचायत' के सचिवजी के रूप में जानते हैं, आज एक सफल अभिनेता हैं। लेकिन उनकी इस कामयाबी के पीछे संघर्ष और मेहनत की अनगिनत कहानियाँ छिपी हुई हैं। हाल ही में, जितेंद्र ने एक इंटरव्यू में अपने बचपन के दिनों के संघर्ष को याद करते हुए बताया कि वह अपने परिवार के साथ जंगल में एक झोपड़ी में रहते थे। यह सुनकर शायद आपको यकीन न हो, लेकिन यह उनकी जिंदगी का एक अहम हिस्सा था।

जंगल में झोपड़ी में बिता बचपन

साइरस ब्रोचा के साथ एक इंटरव्यू में जब जितेंद्र कुमार से उनके पहले घर के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने अपने बचपन के दिनों की एक अनसुनी दास्तान साझा की। उनका जन्म राजस्थान के अलवर के एक छोटे से कस्बे खैरथल में हुआ था। जितेंद्र ने बताया कि उनकी जॉइंट फैमिली जंगल में एक झोपड़ी में रहा करती थी। उस समय उनके पास एक पक्का मकान भी था, लेकिन उसमें अभी कुछ कमरे बनने बाकी थे। इसी वजह से उन्हें लगभग छह-सात महीने तक झोपड़ी में रहना पड़ा। उन्होंने कहा, "झोपड़ी में सोते वक्त मुझे बहुत अजीब महसूस होता था। यह एक छोटा पीरियड था, लेकिन इसने मेरी जिंदगी में एक गहरा असर छोड़ा। मेरे पिता और चाचा सिविल इंजीनियर थे, इसलिए मकान के कंस्ट्रक्शन का काम पूरा होने तक हम उसी झोपड़ी में रहे।"

गर्मी की छुट्टियों में की दिहाड़ी मजदूरी

जितेंद्र कुमार ने यह भी खुलासा किया कि बचपन में वह अपनी गर्मी की छुट्टियों के दौरान दिहाड़ी मजदूरी भी किया करते थे। उस समय उनकी उम्र लगभग 11-12 साल थी, और वह चित्रकारों और बढ़ई के साथ काम करते थे। जितेंद्र ने बताया, "गर्मी की छुट्टियों में, मैं दिहाड़ी मजदूरी के लिए काम करता था और रोजाना 40 रुपये कमाता था। यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। हालांकि, जब मेरे पिता को इस बारे में पता चलता तो वह मुझे डांटते।" जितेंद्र ने न सिर्फ यह अनुभव किया बल्कि अपने घर के निर्माण की प्रक्रिया में भी एक सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने नए घर के बनने की पूरी प्रक्रिया को देखा और उसमें हिस्सा भी लिया।

कोटा फैक्ट्री के जीतू भैया बने छात्रों के प्रेरणास्त्रोत

जितेंद्र कुमार ने अपनी सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई आईआईटी खड़गपुर से पूरी की। लेकिन उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट तब आया, जब उन्होंने कोटा फैक्ट्री में कोचिंग टीचर जीतू भैया की भूमिका निभाई। इस किरदार ने जितेंद्र को रातोंरात स्टार बना दिया और देश भर के छात्रों का दिल जीत लिया। खासकर, आईआईटी उम्मीदवारों ने उनके किरदार को इतना पसंद किया कि वे उन्हें अपने असली जीवन के टीचर के रूप में देखने लगे। जितेंद्र का यह किरदार न सिर्फ एक कोचिंग टीचर की कहानी है, बल्कि एक प्रेरणा भी है उन छात्रों के लिए, जो जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने का सपना देखते हैं।​ जितेंद्र कुमार, जो कभी दिहाड़ी मजदूरी करते थे, आज एक सफल अभिनेता हैं। उनकी नेटवर्थ आज करीब 7 करोड़ रुपये है। यह उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष का नतीजा है। जितेंद्र का जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर आप मेहनत करते हैं और अपने सपनों का पीछा करते हैं, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती। उनकी कहानी से यह सीख मिलती है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमें अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते रहना चाहिए।

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