जितिया व्रत हर साल रखा जाने वाला व्रत है और यह इस साल 17 सितंबर को रखा जाने वाला है। हालाँकि जितिया व्रत के एक दिन पहले नहाय खाय किया जाता है।जी दरअसल महिलाएं इस दिन मड़ुआ की रोटी और मछली बनाती हैं और इस दिन मछली खाने का महत्व है। जितिया व्रत विधि- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। अब इसके लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें। ध्यान रहे इस व्रत में मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है। उसके बाद इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है। वहीं पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है। अब पारण के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा दें। मिथिला की महिलाएं 17 सितंबर को रखेंगी उपवास- मिथिलांचल और देश के अन्य हिस्सों में रहने वाली मैथिल महिलाएं 16 सितंबर को व्रत को लेकर स्नान करेंगी और 17 सितंबर को उपवास रखेंगी। जी हाँ और इसी दिन पूजा-अर्चना करेंगी और व्रत की कथा सुनेंगी। आपको बता दें कि मिथिला पंचांग के अनुसार सप्तमी युक्त अष्टमी के व्रत की महत्ता है। जी दरअसल इस दिन दोपहर में 3:06 बजे से अष्टमी लगेगा, वहीं इसका समापन रविवार को शाम 4:39 बजे होगा। इसके बाद व्रतधारी पारणा करेंगी। मातृ नवमी का श्राद्ध करने के बाद होगा नहाय खाय- मातृ नवमी का श्राद्ध भी होगा। हालाँकि इससे पहले 17 सितंबर को महिला इस व्रत के लिए स्नान करेंगी और अपने पितरों को जलांजलि देकर उन्हें तृप्त करेंगी। वहीं इसके बाद मडुवा रोटी, नोनी का साग, सतपुतिया की सब्जी सहित अन्य कुछ ग्रहण करेंगी और रात में ओठगन करेंगी। पितरों को करना है प्रसन्न तो श्राद्ध पक्ष में करें ये काम घर में पूर्वजों की लगी तस्वीर कर सकती है आपको बर्बाद, रखे इन बातों का ध्यान पितृ पक्ष के दौरान भूल से भी ना करें इन चीजों का सेवन वरना नाराज हो जाएंगे पितर