JNU प्रोफ़ेसर का विवादित बयान : सेना के जवान रोटी के लिए के लिए खड़े रहते है, देश के लिए नही

जोधपुर। एक ओर जहां देश के जवान सियाचीन ग्लैशियर, जम्मू कश्मीर के क्षेत्र में घुटनों तक जमी बर्फ के बीच, हिमस्खलन और बर्फीले तूफान के बाद भी खुद को बचाए रखे हुए हैं तो दूसरी ओर कथित तौर पर सेना के जवानों का मनोबल गिरा देने वाला बयान आया है। यह बयान किसी और ने नहीं बल्कि जेएनयू प्रोफेसर ने दिया है। मिली जानकारी के अनुसार प्रो. निवेदिता मेनन ने कहा है कि जवान देश सेवा के लिए नहीं बल्कि रोटी के लिए कार्य करते हैं। फिर ऐसे में इन लोगों को सियाचीन क्यों भेजा जा रहा है क्यों इन लोगों को मरवाया जा रहा है।

मेनन को सम्मेलन में हिस्ट्री रिकंस्ट्रक्शन थ्रू लिटरेचर विषय पर कहा कि प्रोजेक्टर से देश का नक्शा उल्टा दिखा जा रहा था। उन्होंने कहा कि उनके विभाग में भारत का नक्शा उल्टा है। इस तरह के नक्शे में भारत माता नहीं है। उन्होंने  कथित तौर पर यहां तक कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने जो नियम बनाया है कि राष्ट्रगान के समय सावधान की स्थिति में रहना चाहिए मगर मैं इसे क्यों मानूं उन्होंने अपने भाषण में सवाल किए कि आखिर भारत माता की ही फोटो क्यों है।

उनके हाथ में आजादी के बाद का तिरंगा है। पहले के झंडे में तो चक्र भी नहीं था। मिली जानकारी के अनुसार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रो. निवेदिता मेनन ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के एक समारोह में उपस्थितों को संबोधित किया। प्रो. मेनन ने हिंदूत्व के एजेंडे पर कई तरह की बातें कीं इसके बाद कुछ प्रोफेसर्स उनके पक्ष मेें गए लेकिन इतिहास विभाग के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर एनके चतुर्वेदी ने कहा कि आपने अपनी बात कह दी है।

अब आपको अपने देश को कोसना बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे देश विरोधी हैं। उनके भाषण के बाद सभा स्थल पर डिबेट होने लगी। प्रो. चतुर्वेदी ने उनका विरोध करते हुए कहा कि आप जैसे प्रोफेसर्स के कारण ही कन्हैया जैसे स्टूडेंट्स मिलते हैं। गौरतलब है कि प्रो. मेनन विवादित बयान देने के लिए जानी जाती हैं।

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