लॉकडाउन में गई नौकरी तो परिवार समेत श्मशान घाट पर डाला डेरा, अब करता है ये काम

मुंबई: कोरोना के कारण देश के प्रत्येक वर्ग पर असर पड़ा है वही कोरोना संक्रमण में श्मशान घाटों पर लाशों की लंबी कतार लगी हुई है। यहां का दृश्य बेहद ही भयानक है। लोग विवशता में अपनों को अंतिम विदाई देने के लिए आ रहे हैं, किन्तु हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिसने इस महामारी में नौकरी जाने के पश्चात् श्मशान घाट को अपना घर बना लिया। वो यहां रहकर कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार की सभी जिम्मेदारियां निभा रहा है। इस काम में उसकी बीवी भी उनका हाथ बंटा रही है।

गुजरात के वड़ोदरा स्थित श्मशान घाट पर रह रहे इस व्यक्ति की बहुत चर्चा हो रही है। महाराष्ट्र के रहने वाले इस व्यक्ति का नाम कन्हैयालाल शिर्के है। कन्हैयालाल शिर्के श्मशान घाट में आने वाले शवों के साथ आने वाले परिवार वालों का दर्द तो कम नहीं कर सकता, किन्तु उनके परिवार वालों की अंतिम विदाई की सभी जिम्मेदारियां निभा कर नेक काम कर रहा है। कोरोना महामारी में नौकरी जाने के पश्चात् कन्हैयालाल शिर्के ने श्मशान घाट को ही अपना घर बना लिया है।

वही महाराष्ट्र का रहने वाला कन्हैयालाल शिर्के बीते एक वर्ष से वड़ोदरा के वासना गांव के श्मशान घाट में रह रहा है तथा कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार की सभी जिम्मेदारियों को निभा रहा है। कन्हैयालाल महाराष्ट्र से रोजी रोटी कमाने वड़ोदरा आया था। उसकी बीवी महाराष्ट्र के मुंबई में ही कुछ छोटा मोटा काम करती थी। कन्हैयालाल यहां आकर पेंटिंग का काम करता था, मगर एक वर्ष पहले कन्हैयालाल की कोरोना महामारी के बीच हुए लॉकडाउन में जॉब चली गई। कुछ दिन ऐसे ही गुजारने के पश्चात् उसने मेहनत मजदूरी की, किन्तु उससे गुजारा कर पाना बेहद कठिन हो गया। इस बीच उसकी पत्नी तथा बच्चे भी वड़ोदरा आ गए। 

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