ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में खेले जा रहे राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जारी रखा है. गौरतलब है कि वर्ष 1930 में पहले राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन किया गया था. उस समय इस खेल का नाम 'ब्रिटिश एम्पायर गेम्स' हुआ करता था. वर्ष 1950 से इस खेल को ''ब्रिटिश एम्पायर एण्ड कॉमनवेल्थ गेम्स" के नाम से पहचान मिली. वर्ष 1970 और 1974 में इस खेल का नाम ब्रिटिश कॉमनवेल्थ गेम्स रहा लेकिन वर्ष 1978 से अब तक खेलों के इस आयोजन को कॉमनवेल्थ गेम्स मतलब राष्ट्रमंडल खेल के नाम से जाना जा रहा है. वर्ष 1930, 1950, 1962 और 1986 में भारत ने इन खेलों में हिस्सा नहीं लिया. भारत ने पहली बार वर्ष 1934 में लंदन में आयोजित ब्रिटिश एम्पायर गेम्स में भाग लिया. भारत को पहला पदक राशिद अनवान ने पुरुष कुश्ती के 74 किलोग्राम वर्ग में काँस्य पदक जीतकर दिलाया. वर्ष 1938 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में आयोजित इस खेल में भारत ने भाग तो लिया लेकिन कोई पदक हासिल नहीं कर पाया. वर्ष 1942 और 1946 में द्वितीय विश्व युद्ध के कारण इसका आयोजन नहीं हो पाया. वर्ष 1950 में न्यूज़ीलैंड के ऑकलैंड शहर में इस खेल का आयोजन हुआ लेकिन इस बार भारत ने इसमें हिस्सा नहीं लिया. वर्ष 1954 में कनाडा के वैंकूवर शहर में आयोजित इन खेलों में भारत की पाँच स्पर्धाओं में भागीदारी तो थी लेकिन कोई पदक नहीं जीत पाया. भारत को 1934 के बाद मतलब 24 वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद वर्ष 1958 में वेल्स के कार्डिफ़ शहर में तीन पदक हासिल हुए, जिनमें दो स्वर्ण और एक रजत था.पुरुषों की 440 गज दौड़ में मिल्खा सिंह ने मात्र 46.6 सेकेंड में पूरी कर स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा कर लिया. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के मैलकम क्लाइव स्पेंस और कनाडा के चार्ल्स टेरेंस टोबाको को पीछे छोड़ते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया. वहीं कुश्ती के 100 किलोग्राम वर्ग में लीला राम ने भी चार अंक हासिल कर स्वर्ण पदक हासिल किया जबकि कुश्ती में ही 74 किलोग्राम वर्ग में लक्ष्मीकांत पाण्डेय को रजत पदक लेकर ही संतोष करना पड़ा. CWG2018: खेल का समापन, भारत तीसरे नंबर पर CWG2018: बैडमिंटन में किदाम्बी श्रीकांत को सिल्वर मेडल CWG2018:इस खिलाड़ी ने बिना खेले ही जीता गोल्ड