नई दिल्ली : नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) द्वारा 9 अगस्त को जेपी इंफ्राटेक कम्पनी को दिवालिया घोषित करने के लिए जारी किये गए आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार के दिन स्टे लगा दिया है. स्टे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिल्डर, आईडीबीआई बैंक व नोएडा अथॉरिटी को नोटिस जारी किया है और उनसे जवाब तलब किया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से खरीददारों में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी. बायर्स का नेतृत्व कर रहे प्रमोद रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि लगभग 150 बायर्स ने नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) और अन्य कोर्ट में मुकदमा दायर किया है. दायर किये मुकदमो में लेट डिलेवरी और पेनल्टी को लेकर मुआवजे की मांग की गयी है. रावत का कहना है NCLT द्वारा जारी किये गए आदेश के बाद बायर्स के सारे मुक़दमे निराधार हो गए थे और सभी को काफी तनाव हो गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद से यह सभी मुक़दमे एक बार फिर जीवंत हो गए हैं और बायर्स को एक बार फिर से उम्मीद जगी है. वहीँ रावत ने कहा कि "हम कोशिश करेंगे कि एनसीडीआरसी समेत बाकी सिविल कोर्ट में भी मुकदमों की सुनवाई तेजी से हो और बायर्स को इंसाफ मिल सके।" वहीँ एक बायर्स यतिन गोयल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के स्टे के फैसले से लगभग 32 हज़ार बायर्स को अस्थायी ही सही लेकिन थोड़ी राहत जरूर मिली है. लेकिन फिर भी जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ हमारा आंदोलन इन्साफ मिलने तक जारी रहेगा. गोयल ने कहा कि "9 सितंबर को दिल्ली के इंडिया गेट पर हम धरने की योजना बना रहे हैं। अगर हमें अनुमति मिल जाती है तो वहां पर निश्चित रूप से धरना होगा। साथ ही 14 और 15 सितंबर को जिले के दौरे पर आ रही मंत्री स्तरीय समिति से मुलाकात कर जल्द फ्लैट दिलवाने की अपनी मांग फिर से दोहराएंगे।" जानिए क्या चल रहा है हमारे देश की राजनीती में, पढिये राजनीतिक पार्टी से जुडी ताज़ा खबरें मोदी-जिनपिंग द्विपक्षीय वार्ता, पंचशील के सिद्धांतों पर चलेगा चीन संघ ने मोदी की नोटबंदी का किया समर्थन Whatsapp के Business फीचर की टेस्टिंग भारत में शुरुआत