इंदौर/भोपाल : सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अपील के बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के सभी जजों ने गर्मी की छुट्टियों में भी एक हफ्ते काम करने का फैसला किया है . इस दौरान 2005 या उससे पहले के आपराधिक मामलों की प्राथमिकता से सुनवाई होगी. उम्मीद है कि इससे 1000 से ज्यादा मुकदमों का फैसला हो सकेगा. बता दें कि गर्मी की छुट्टियां 22 मई से शुरू होने वाली थीं, लेकिन इन्हें एक हफ्ते बढ़ा दिया गया है. मिली जानकारी के अनुसार इस एक हफ्ते के लिए हो रही विशेष न्यायालयीन कार्रवाई में शुरुआती तौर पर तय किया गया है कि ऐसे आपराधिक मामले, जिनमें फैसले के इंतजार में गुनाहगार जेल में हैं, उन्हें पहले सुना जाएगा. भोपाल जिला बार एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर कर कहा है कि अगर यह फैसला जिला कोर्ट में भी लागू होता है तो वकील सहयोग करेंगे. मप्र के एडवोकेट जनरल ऑफिस और बार काउंसिल से भी इस बारे में सहयोग करने की बात कही गई है. वहीं पूर्व लोकायुक्त पीपी नावलेकर और रिटायर्ड जस्टिस एके गोहिल का कहना है कि छुटि्टयों में सभी जजों के एक हफ्ते काम करने का निर्णय बेहतर है. ऐसे में मामलों की सुनवाई होगी तो लंबित मामलों में तेजी से निपटेंगे. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट जजों को छुट्टियों का एक बड़ा हिस्सा ग्रीष्म अवकाश के तौर पर मिलता है.वैसे गर्मी की लंबी छुट्टियों की परंपरा अंग्रेजों के जमाने से है. उन दिनों अधिकांश जज अंग्रेज होते थे, जो भारत की गर्मी सहन नहीं कर पाते थे. इसलिए वे या तो इंग्लैंड चले जाते थे या हिल स्टेशन पर वक्त बिताते थे. स्मरण रहे कि देशभर की अदालतों में 2.7 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं.इनमें 62 हजार मामले सुप्रीम कोर्ट और 38 लाख देश की 24 हाईकोर्ट में लंबित हैं. इसी तरह 1.20 लाख मामले मप्र हाईकोर्ट में ऐसे हैं जो 5 साल से ज्यादा पुराने हैं. यह भी देखें सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आखिर देश में महिलाओं को शांति से क्यों नहीं रहने दिया जाता? SC का निर्णय : आरक्षित वर्ग का कैंडिडेट नहीं पा सकता सामान्य वर्ग में नौकरी