न्यायपालिका को विदेशी निवेशकों और मध्यस्थता वाले मामलों में देरी से बचना चाहिए. इससे द्विपक्षीय निवेश संधियों (बीआइटी) के तहत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश को दावों का सामना नहीं करना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) एसए बोबडे ने सोमवार को यह बात कही. सीजेआइ बोबडे मध्यस्थता कानूनों पर लिखी सुप्रीम कोर्ट की जज इंदु मल्होत्रा की किताब के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे. आजम खां को योगी सरकार का एक और झटका, इस भर्ती प्रक्रिया को किया निरस्त अपने बयान में सीजेआइ ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका की गतिविधियों के कारण बीआइटी के तहत अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को कई दावों का सामना करना पड़ा है. यह अप्रत्याशित है. न्यायपालिका यह कर सकती है कि इस तरह के मामलों में होने वाली देरी से बचे. सीजेआइ ने चिंता जताते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय दावों के ज्यादातर मामले भारत में चल रही आपराधिक जांच की कार्यवाहियों में अड़ंगा डालने के लिए होते हैं. उन्होंने इन्वेस्टर-स्टेट डिस्प्यूट सेटलमेंट मैकेनिज्म में सुधार की पैरवी भी की. बॉक्स ऑफिस पर क्या मार्च रहेगा हिट? आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बीआइटी के मामले इसी मैकेनिज्म के तहत आते हैं। सीजेआइ ने कहा कि जजों को विदेशी इकाइयों से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान हर पहलू पर विचार करना चाहिए. इसी कार्यक्रम में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बात पर चिंता जताई कि ऐसे मामलों में अक्सर अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप को बड़ा हर्जाना नहीं भरना पड़ता है. उन्होंने कहा कि भारत संस्थागत मध्यस्थता का केंद्र बनना चाहता है और विदेशी मामलों की सुनवाई को भी यहां अनुमति दी जाएगी. भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने 20 वर्ष बाद ग्रहण किया अन्न, पूरी हुई ये बड़ी प्रतिज्ञा दीप्ति नवल क्यों ढूंढ रही है अपनी हिंदी की मैम को, जानिये क्या है राज़ ISRO : जियो इमेजिंग सेटेलाइट जीसेट-1 अंतरिक्ष में बढ़ाएगी दबदबा, इस दिन होगी लॉन्च