कोलकाता: कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सीएस कर्णन का न्यायपालिका से टकराव जारी हैं. उच्चतम न्यायालय द्वारा 31 मार्च को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जारी जमानती वारंट को जब पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने शुक्रवार को जब जस्टिस कर्णन को सौंपा तो न्यायाधीश ने उसे ठुकरा दिया. गौरतलब हैं कि उच्चतम न्यायालय द्वारा 31 मार्च कोकोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सीएस कर्णन की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जमानती वारंट जारी किया गया था.जिसकी तामीली कराने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार और डीआईजी (सीआईडी) राजेश कुमार के साथ डीजीपी न्यू टाउन एरिया स्थित न्यायमूर्ति कर्णन के आवास न्यू टाउन पर पहुंचे और उन्हें वारंट सौंपा.जिसे ठुकराते हुए प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की पीठ को लिखे पत्र में न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि वह वारंट को ठुकराते हैं. उल्लेखनीय हैं कि शीर्ष अदालत ने 10 मार्च को भारत के न्यायपालिका के इतिहास के इस अभूतपूर्व आदेश में यह वारंट जारी किया था.न्यायमूर्ति कर्णन ने पत्र में कहा कि शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय सर्कल के शीर्ष पुलिस अधिकारी 31 मार्च 2017 को सुबह साढ़े दस बजे जमानती वारंट निष्पादित करने हेतु मेरे आवास पर आए थे.न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा मैंने वैध कारण बताकर इसे अस्वीकार कर दिया. यही नहीं न्यायमूर्ति कर्णन ने उनका न्यायिक एवं प्रशासनिक कार्य रोकने पर उच्चतम न्यायालय के सात न्यायाधीशों से 14 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा है. उन्होंने आरोप लगाया कि एक दलित होने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. न्यायमूर्ति कर्णन ने भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर तथा छह अन्य न्यायाधीशों के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून 1989 के तहत मामला दर्ज करने के आदेश भी दिये है. यह भी पढ़ें SC ने जारी किया कोलकाता हाईकोर्ट के जज को वारंट न्यायाधीश करनन ने कहा दलित होने के कारण झेलना पड़ रही कार्रवाई